कॉमनवेल्थ खेल 2022 :बर्मिंघम में 12 खेलों में भारत ने जीता मेडल , 2018 से बेहतर प्रदर्शन

दिल्ली: बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत 22 गोल्ड सहित कुल 61 मेडल लेकर चौथे स्थान पर रहा। 2018 गोल्डकोस्ट गेम्स में हम 26 गोल्ड सहित 66 मेडल के साथ तीसरे स्थान पर थे। यानी चार साल में भारत के मेडल की संख्या घटी और पोजीशन में भी गिरावट आई। इसके बावजूद इस बार भारत का प्रदर्शन चार साल पहले की तुलना में बेहतर कहा जा रहा है। इसका सीधा जवाब है शूटिंग का न होना। शूटिंग कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत के लिए सबसे ज्यादा मेडल दिलाने वाला खेल है। भारत ने शूटिंग में अब तक 63 गोल्ड सहित 135 मेडल जीते हैं। 2018 में हमने शूटिंग में 7 गोल्ड सहित 16 मेडल जीते थे। इस बार शूटिंग कॉमनवेल्थ गेम्स का हिस्सा नहीं था। यानी, भारत के 15-16 मेडल तो ऐसे ही कम हो गए। इसके बावजूद हमारे एथलीट ने पिछले गेम्स की तुलना में सिर्फ चार गोल्ड कम जीते। ओवरऑल भी महज 5 मेडल की कमी आई।

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शूटिंग की गैरहाजिरी में इस बार कुश्ती भारत का सबसे कामयाब खेल बन गया। भारतीय पहलवान 12 इवेंट में उतरे और सभी में कोई न कोई मेडल जीतने में कामयाब रहे। यानी जो भी भारतीय पहलवान बर्मिंघम गया वह गले में मेडल लेकर ही लौटा है। भारत इस खेल में 6 गोल्ड, 1 सिल्वर और 5 ब्रॉन्ज जीता है। पिछली बार 5 गोल्ड, 3 सिल्वर और 4 ब्रॉन्ज मिले थे।

भारत ने बैडमिंटन में इस बार 3 गोल्ड, 1 सिल्वर और 2 ब्रॉन्ज मेडल जीता। 2018 में इस खेल में हमें 2 गोल्ड, 3 ब्रॉन्ज और 1 सिल्वर मिला था। इसी तरह टेबल टेनिस में भी गोल्ड में इजाफा हुआ। इस बार 4 गोल्ड मिले, पिछली बार 3 ही मिले थे। 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत की पुरुष और महिला दोनों ही टीमें मेडल जीतने में नाकाम रही थीं। इस बार दोनों टीमों ने मेडल जीता। लॉन बॉल्स में भारत ने गेम्स के इतिहास में पहली बार मेडल जीता। 1 गोल्ड और 1 सिल्वर। इसी तरह जूडो में हम 2018 में खाली हाथ रहे थे। इस बार दो सिल्वर और 1 ब्रॉन्ज जीता है।

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