बिहार में क्यों बढ़ी भाजपा-जदयू की दूरी? जानें, नीतीश कुमार की नाराजगी के 5 बड़े कारण
बिहार में भाजपा और जदयू गठबंधन में दरार की खबरें हैं। सूत्रों का दावा है कि नीतीश कुमार भाजपा से लगातार नाराज चल रहे हैं। सूत्र तो यह भी दावा कर रहे हैं कि आने वाले एक-दो दिन में बिहार में बड़ा सियासी परिवर्तन भी दिखाई दे सकता है। खबरों के मुताबिक नीतीश कुमार कांग्रेस, राजद और लेफ्ट के समर्थन से सरकार बनाने की कोशिश में भी जुटे हुए हैं। हालांकि, भाजपा और जदयू दोनों की ओर से यह दावा किया जा रहा है कि बिहार में एनडीए स्थिर है। गठबंधन की सरकार को कोई खतरा नहीं है। इन तमाम कयासों के बीच से नीतीश कुमार ने अपने विधायकों और सांसदों की एक बड़ी बैठक में बुला ली है। माना जा रहा है कि इस बैठक में नीतीश कुमार बड़े निर्णय के बारे में विधायकों को संकेत दे सकते हैं। अब सवाल यह है कि आखिर भाजपा से नीतीश नाराज क्यों है?
नीतीश कुमार मोदी मंत्रिमंडल में 2 कैबिनेट और 2 राज्य मंत्री चाहते थे। लेकिन नरेंद्र मोदी की सरकार की ओर से सिर्फ एक सीट ही देने की पेशकश की गई। यही कारण है कि नीतीश कुमार 2019 में मोदी के शपथ ग्रहण समारोह से ठीक पहले इस बात की घोषणा कर दी थी कि उनकी पार्टी मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होगी। पार्टी की ओर से राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने रविवार को साफ कहा है कि वह अभी भी इस स्टैंड पर कायम हैं। हालांकि, आरसीपी सिंह जदयू की ओर से कैबिनेट में शामिल हुए थे। यहीं से नीतीश और आरसीपी सिंह के बीच दूरियां बढ़ने शुरू होगा।
– भाजपा लगातार चुनाव को एक साथ कराने पर जोर देती रही है। लेकिन नीतीश कुमार का पक्ष अलग है। नीतीश कुमार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस पेशकश पर नाराजगी व्यक्त कर चुके हैं। इस मामले में नीतीश कुमार को विपक्ष का भी साथ मिला था।
– नीतीश कुमार अपनी पार्टी के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल में बड़ा मंत्रालय चाहते थे। लेकिन ऐसा भाजपा की ओर से उन्हें नहीं दिया गया।
– नीतीश कुमार लगातार विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा से नाराज रहते हैं। नीतीश कुमार उन्हें हटाने के लिए भाजपा से कई बार कह भी चुके हैं। लेकिन भाजपा इस पर कतई तैयार नहीं है। हाल में ही बिहार विधानसभा के शताब्दी वर्ष के कार्यक्रम को लेकर जो आमंत्रण पत्र बना था, उसमें नीतीश कुमार का नाम शामिल नहीं था।