हरसुंडी गांव के स्कूल में बच्चे तो पहुचंते है मगर शिक्षक है गायब’

सरीला-हमीरपुर। प्राथमिक विद्यालयों में सुधार के लिए सरकार जहां अथक प्रयास में लगी है और विभिन्न योजनाओं के माध्यम से विद्यालय की व्यवस्थाओं में सुधार किया जा रहा है। तो जिनके सहारे विद्यालय संचालित है। वहीं शिक्षक सरकार की योजनाओं और निर्देशों को ताख पर रखकर मानमाने ढंग से अपनी जिम्मेदारियों की औपचारिका पूरी करते हुए नौनिहालों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे है।

मामला सरीला क्षेत्र के हरसुंडी गांव का जहां ग्राम प्रधान सहित तमाम लोगों ने शिक्षकोें के विद्यालय न पहुंचने की शिकायत खण्ड शिक्षाधिकारी से करते हुए कार्यवाही किये जाने की मांग की है। जुलाई का महीना है और शिक्षक कार्य की शुरुआत हो चुकी है।

विद्यालयों में बच्चों की चहल पहल दिखाई दे रही मगर सरीला क्षेत्र के ग्राम हरसुंडी के प्राथमिक विद्यालय का नजारा ही कुछ अलग दिखाई दिया। बच्चे तो समय से स्कूल पहुंचे मगर उन्हें शिक्षा देने वाले गुरुजनों का कहीं कोई पता नहीं था।

स्कूल में बच्चे धमाल मचाये हुए थे और स्कूल वाउंड्री पर चढ़कर उछलकूंद मचाये थे। स्कूल का यह नजारा एक दिन होता तो कोई बात न थी मगर लगातार रोज ही जब ग्रामीणों ने यह हालात देखे तो इस बात की चर्चा ग्राम प्रधान से की और ग्रामीणों ने पता किया तो बच्चों ने बताया कि उनके मास्टर साहब नहीं आये हैं।

अपने नौनिहालों के भविष्य को लेकर चिंतित अभिभावकों ने इस बात को गम्भीरता से लिया और पता किया तो मालूम हुआ कि यह कोई नई बात नहीं है। गांव के स्कूल में बच्चे तो नियमित समय से पहुंचते हैं। मगर शिक्षक अपनी मर्जी से विद्यालय पहुंच रहे है।

ग्राम प्रधान जसीराम अहिरवार, क्षेत्र पंचायत सदस्य कल्याण सिंह, विद्यालय अभिभावक समिति के सदस्य दुष्यंत, राजपाल, रामलखन, कल्लू, रविन्द्र, चंद्रशेखर, बृजचंद्र, रणविजय, राजेन्द्र कुमार, लालाराम, अजीत रामेश्वर आदि सहित ग्रामीणों ने बताया कि गांव के प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाचार्य सहित 6 शिक्षकों की तैनाती हैं।

मगर विद्यालय का शिक्षक कार्य बेहद घटिया है। स्कूल में तैनात शिक्षक शरद चंद्र दीक्षित एवं धर्मेन्द्र सैनी नियमित समय से स्कूल पहुंचते है और पूरे स्कूल को सम्भालते है। प्रधानचार्य अलखराम सहित अन्य शिक्षक व शिक्षामित्र बेहद लापरवाह है और मानमाने ढंग से अपनी जिम्मेदारी की औपचारिकता मात्र कर रहे है।

मध्यान्ह भोजन योजना के तहत बच्चों को कभी भी दूध और फल नहीं दिये जाते जबकि इसका भुगतान दिखाया जाता है। शिक्षकों के विद्यालय न पहुंचने पर बच्चे स्कूल में धमाचैकड़ी मचाते है और पढ़ाई के स्थान पर खेलकूंद में अपना समय व्यतीत कर घर लौट आते है। स्कूल में मौजूद मात्र दो शिक्षक बच्चों को ही सम्भालने में पसीना बहाते रहते है।

काफी दिनों से स्कूल का यह रवैया देखकर ग्रामीणों और अभिभावकों में जमकर रोष व्याप्त है और ग्राम प्रधान सहित सभी ने खण्ड शिक्षाधिकारी सरीला अजीत निगम से शिकायत कर लापरवाह शिक्षकों को गांव के स्कूल से हटाने की मांग की है।

ग्रामीणों ने बताया कि विद्यालय में अध्ययनरत बच्चों का भविष्य इन शिक्षकों के कारण अंधकार में है। एबीएसए सरीला से बात करने पर उन्होंने कहा कि उक्त के सम्बंध शिकायत की गई है और वह मामले की गम्भीरता से जांच कर कार्यवाही करेंगे।

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