श्रीलंका के संकट से पड़ोसी देशों को यह समझ लेना चाहिए क्यों है संकट का विषय ?  

दिल्लीः

श्रीलंका में चल रहे भीषण आर्थिक संकट और कमरतोड़ महंगाई ने नागरिकों को सड़कों पर उतरकर चुने हुए राष्ट्रपति को पद छोड़ने पर मजबूर कर दिया. राष्ट्रपति को लोगों के गुस्से से बचने के लिए देश छोड़ना पड़ गया. IMF के मुताबिक सिर्फ श्रीलंका ही नहीं अन्य दक्षिण एशियाई देश भी ऐसे संकट से घिर सकते है.

IMF की मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने कहा कि भारी कर्ज में डूबे देश और सीमित आय के स्त्रोत वाले देशों को अधिक दबाव का सामना करना पड़ेगा. उन्हें श्रीलंका को एक चेतावनी के रूप में देखना चाहिए.

उनका मानना है कि विकासशील देश भी लगातार चार महीनों से लगातार घटती आमदनी का सामना कर रहे हैं, जिससे विकसित अर्थव्यवस्थाओं के साथ आगे बढ़ने के उनके सपने खतरे में पड़ गए हैं.

विदेशी मुद्रा के भंडार की कमी से जूझते श्रीलंका को अपनी 2 करोड़ से अधिक की आबादी के लिए मूलभूत सेवाओं को जारी रखने के लिए भी ईंधन की समस्या से दो चार होना पड़ रहा है. ईंधन की कमी के कारण बिजली, कारखाने व ट्रांसपोर्ट की भारी समस्या पैदा हो गई है. खाने पीने का सामान भी एक जगह से दूसरी जगह नहीं पहुंच पा रहा है.

बिगड़ते हालात में महंगाई लगभग 50% बढ़ गई है, खाद्य कीमतों में एक साल पहले की तुलना में 80% अधिक वृद्धि हुई है. साथ ही दिवालिया घोषित होने के कारण इस साल अमेरिकी डॉलर और अन्य प्रमुख वैश्विक मुद्राओं के मुकाबले श्रीलंकाई रुपये के मूल्य में भारी गिरावट आई है.

आर्थिक संकट के बाद से ही श्रीलंकाई रुपया डॉलर के मुकाबले 160 रुपये अधिक गिर गया है. जिससे ईंधन को इम्पोर्ट करना पहले के मुकाबले अधिक महंगा हो गया है.

एशिया में पिछले 20 वर्षों में श्रीलंका डिफ़ॉल्ट होने वाला पहला देश बन गया है जो कभी एशिया में अपनी उच्च सकल घरेलू उत्पाद दर के लिए जाना जाता था.

संकट के बीच उच्च अधिकारी आईएमएफ के साथ 3 बिलियन डॉलर (£ 2.5 बिलियन) के बेलआउट के लिए बातचीत कर रहे थे. फ़िलहाल राजनीतिक संकट के बीच यह बातचीत ठप हो गई है.

श्रीलंका के संकट से पड़ोसी देशों को यह समझ लेना चाहिए कि बढ़ती महंगाई, ब्याज दरों में बढ़ोतरी, करेंसी का गिरना, ऋण का उच्च स्तर और घटती विदेशी मुद्रा भंडार आपको डिफ़ॉल्ट करने के लिए काफी है. एशिया के कई देश इन सभी मापदंडो पर अभी खड़े दिखाई दें रहे है जो उन्हें आर्थिक संकट की ओर ले जा रहे है.

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker