लीथीयम के पीछे पड़ी हैं चीन की ज्यादातर कंपनियां, जाने क्या है ऐसा ख़ास ?

दिल्लीः पिछले कुछ सालों में लीथियम (Lithium) की मांग बहुत बढ़ी है. हाल ही में जिम्बाब्वे (Zimbabwe) की एक बड़ी उत्खनन कंपनी ने यह समझौता किया है कि वह अलगे साल साल चीन (China) को लीथियम वाला स्पोडूमीनी नाम का खनिज निर्यात करेगी. इसके लिए चीनी कंपनी ने तगड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना किया था. सवाल यह है कि आखिर चीन की कंपनियां लीथीयम के पीछे क्यों पड़ी हैं और उन्हें इसके लिए इतनी प्रतिस्पर्धा का सामना क्यों करना पड़ रहा है. इसकी सबसे प्रमुख वजह लीथीयम की बैटरी में होने वाला उपयोग है जिनकी बढ़ती मांग लीथीयम को इतना कीमती बना दिया है.

लीथियम की अहमियत
लीथियम को दुनिया में कितनी अहमियत दी जा रही है इससे समझा जा सकता है कि चंद्रमा को लेकर हो रही अंतरिक्ष प्रतिस्पर्धा की एक वजह वहां पर लीथीयम के भंडार को भी माना जा रहा है. इसके अलावा कई विशेषज्ञ रूस यूक्रेन संघर्ष के पीछे के कारणों में से एक कारण यूक्रेन में लीथियम के भंडार को भी मानते हैं. जबकि लीथियम दुनिया में बहुत प्रचुर मात्रा में उपलब्ध नहीं है.

दरअसल अब लीथीयम की मांग केवल मोबाइल और लैपटॉप की बैटरी के लिए ही नहीं रह गई है. जिस तरह से पिछले कुछ सालों में और खास तौर रूस यूक्रेन युद्ध के बाद जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता खत्म होने की जरूरत तेज हो गई है. ऐसे में इलेक्ट्रिक वाहनों को भविष्य के परिवाहनों के तरह देखा जा रहा है और इस तेजी से अभी बढ़ाने का प्रयास किए जाने की मांग भी बढ़ रही है

इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी में भी लीथियम होता है. इस लिहाज से लीथियम की मांग बढ़ना तय है. लीथियम की उपलब्धता को देखते हे जिम्बाबवे की खदानों में भी उत्खनन की मांग बढ़ गई है जहां लीथियम के विशाल निक्षेप हैं. गौरतलब है कि स्टैटियाडॉटकॉम के मुताबिक जिम्बॉब्वे, चिली, ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना, चीन और अमेरिका के बाद दुनिया का सबसे ज्यादा लीथियम भंडार वाला देश है

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