अल्‍मोड़ा: हिमाद्री हंस हैंडलूम ने महिलाओं को रोजगार से जोड़ा,अब है डिमांड में

दिल्लीः आधुनिक युग में लोगों का काम कम हुआ है. अब लोगों के बदले मशीनों ने जगह ले ली है, तो वहीं अल्मोड़ा के डीनापानी में महिलाओं के द्वारा आज भी हाथ से कपड़ों का निर्माण किया जा रहा है. अल्मोड़ा के डीनापानी में स्थित है हिमाद्री हंस हैंडलूम (Himadri Hans Handlooms Almora), जहां महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए नंदा देवी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर हैंडलूम एंड नेचुरल फाइबर्स में हाथ से बुने हुए कपड़े बनाए जा रहे हैं. साल 2017 में हंस फाउंडेशन ने इस पर काम करना शुरू किया. इस वक्‍त यहां करीब 150 महिलाओं काम कर रही हैं

हिमाद्री हंस हैंडलूम में हस्तनिर्मित यानी कि हाथ से बने हुए उत्पादों का निर्माण महिलाओं द्वारा यहां किया जाता है. इन उत्पादों में पश्मीना शॉल, स्कार्फ, स्टोल, मेरिनो टॉप्स शॉल, लैंब वूल शॉल, अल्मोड़ा ट्वीड आदि शामिल हैं. यहां बनाए जा रहे कपड़ों की मांग देश-विदेशों में भी है. आने वाले समय में इस संस्था से अन्य लोगों को भी जोड़ा जाएगा.

आधुनिक युग में लोगों का काम कम हुआ है. अब लोगों के बदले मशीनों ने जगह ले ली है, तो वहीं अल्मोड़ा के डीनापानी में महिलाओं के द्वारा आज भी हाथ से कपड़ों का निर्माण किया जा रहा है. अल्मोड़ा के डीनापानी में स्थित है हिमाद्री हंस हैंडलूम (Himadri Hans Handlooms Almora), जहां महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए नंदा देवी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर हैंडलूम एंड नेचुरल फाइबर्स में हाथ से बुने हुए कपड़े बनाए जा रहे हैं. साल 2017 में हंस फाउंडेशन ने इस पर काम करना शुरू किया. इस वक्‍त यहां करीब 150 महिलाओं काम कर रही हैं

हिमाद्री हंस हैंडलूम में हस्तनिर्मित यानी कि हाथ से बने हुए उत्पादों का निर्माण महिलाओं द्वारा यहां किया जाता है. इन उत्पादों में पश्मीना शॉल, स्कार्फ, स्टोल, मेरिनो टॉप्स शॉल, लैंब वूल शॉल, अल्मोड़ा ट्वीड आदि शामिल हैं. यहां बनाए जा रहे कपड़ों की मांग देश-विदेशों में भी है. आने वाले समय में इस संस्था से अन्य लोगों को भी जोड़ा जाएगा.

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