बाघों की बढ़ती जनसंख्या के कारण रातापानी को टाइगर सेंचुरी टाइगर रिजर्व एरिया घोषित करने का प्लान

दिल्लीः

जंगल-जंगल बात चली है पता चला है. राजधानी भोपाल के नजदीक रातापानी का जंगल बाघों के कुनबे से भर गया है. यहा 4 बाघिनों ने 11 शावकों को जन्म दिया है. सभी शावक स्वस्थ हैं और अपनी मां के साथ जंगल में मस्ती कर रहे हैं. शावकों की चहलकदमी के कारण फिलहाल वहां सैलानियों के जाने पर रोक लगा दी गयी है. बाघों का इतना बड़ा कुनबा होने के कारण वन विभाग अब रातापानी को टाइगर रिजर्व बनाने की तैयारी में है.

राजधानी से लगे रातापानी सेंचुरी में बाघों की संख्या तेजी के साथ बढ़ रही है. साल 2022 की गणना के बाद पता चला है कि यहां तीन बाघिनों ने तीन तीन शावक और एक बाघिन के दो शावकों को जन्म दिया है. वन विभाग प्रबंधन ने इन शावकों को कैप्चर करने के लिए बाघ मूवमेंट वाले इलाके में 40 ट्रैप कैमरे लगाए हैं.

वन विभाग के अफसरों ने बताया कि रातापानी अभयारण्य के अलग-अलग रेंज में चार बाघिन हैं. इन्होंने कुल 11 शावकों को जन्म दिया है. बाकी बाघिन के साथ शावकों के पगमार्क मिले हैं. साथ ही कैमरा ट्रेप में भी यह कैप्चर हुए हैं. वन विभाग के मुताबिक फिलहाल इन शावकों की उम्र 6 महीने से लेकर डेढ़ साल तक की है. रातापानी अभयारण्य में बाघिनें अपने शावकों के साथ घूम रही हैं इसलिए स्थानीय लोगों के वन क्षेत्र में जाने पर रोक लगा दी गयी है. वन विभाग 40 ट्रैप कैमरो से शावकों की गतिविधि पर नजर रख रहा है.

रातापानी देश की ऐसी इकलौती सेंचुरी है जहां 45 से ज्यादा बाघ और 80 से ज्यादा तेंदुए हैं. रातापानी अभयारण्य में ऐसी कई गुफाएं हैं जहां बाघिन ब्रीडिंग के लिए जाती हैं. वन विभाग ने हाल ही में बाघों की गणना की है. उसमें जो आंकड़ा निकल कर आया है वह बताता है कि रातापानी में बाघ परिवार के 45 से ज्यादा सदस्य मौजूद हैं.

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