के के वेणुगोपाल तीन महीने और अटॉर्नी जनरल के पद पर बने रहने के लिए सहमत हुए

दिल्लीः वरिष्ठ अधिवक्ता के के वेणुगोपाल तीन महीने और अटॉर्नी जनरल के पद पर बने रहने के लिए सहमत हो गए हैं. उनका कार्यकाल 30 जून को खत्म होने वाला था. अटॉर्नी जनरल का कार्यकाल सामान्य रूप से तीन साल का होता है. जब साल 2020 में अटॉर्नी जनरल के रूप में वेणुगोपाल का पहला कार्यकाल समाप्त होना था, तो उन्होंने सरकार से उनकी बढ़ती आयु को ध्यान में रखते हुए एक वर्ष का कार्यकाल देने का अनुरोध किया था. वह 91 वर्ष के हैं.

पिछले वर्ष भी वेणुगोपाल का कार्यकाल एक वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया था. वेणुगोपाल उच्चतम न्यायालय में चर्चित मामलों को संभाल रहे हैं और सरकार उनके अनुभव को देखते हुए उन्हें एक और कार्यकाल देने का फैसला किया है. अब वो तीन महीने के लिए फिर से इस संवैधानिक पद पर नियुक्त किए गए हैं.

पिछले दिनों कानून मंत्रालय ने सरकार को सूचित किया है कि उनका कार्यकाल 30 जून को समाप्त हो रहा है और इस पद पर नियुक्ति की आवश्यकता है. उन्होंने पहली बार 1 जुलाई, 2017 को मुकुल रोहतगी के स्थान पर केंद्र सरकार के शीर्ष कानूनी अधिकारी, अटॉर्नी जनरल के रूप में पदभार संभाला था.

वेणुगोपाल कई प्रमुख मामलों में केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. इसमें अनुच्छेद 370 को संवैधानिक चुनौती, धारा 124-ए के तहत देशद्रोह का मामला भी शामिल है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में देशद्रोह कानून को खत्मकरने की मांग की गई है. उन्होंने 2018 में राफेल मामले और अन्य प्रमुख केस के दौरान संवैधानिक चुनौती में सरकार का सफलतापूर्वक बचाव किया है.

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