रैपिड रेल के प्रशासनिक भवन को सोला ट्यूब डे लाइटिंग सिस्टम से किया जायेगा रौशन

दिल्लीः यूपी के गाजियाबाद के दुहाई डिपो में रैपिड रेल का मुख्य प्रशासनिक भवन होगा. इस प्रशासनिक भवन में रोशनी के लिए सौर ऊर्जा की बिल्कुल नई तकनीक का इस्तेमाल किया जायेगा. इस नई तकनीक का नाम सोला ट्यूब डे लाइटिंग सिस्टम (Sola Tube Day Lighting System) है. पुराने सिस्टम की तरह इस सिस्टम में भवन के उपर सौर ऊर्जा पैनल नहीं लगाए जाएंगे. इसमें सौर ऊर्जा पैनल की जगह एक गुंबद जैसा डिवाइस लगाया जायेगा जो सौर ऊर्जा पैनल से अलग काम करेगी.

यही नहीं, डोम के आकार जैसी ये डिवाइस पूरी तरह से पारदर्शी है और अल्ट्रावॉयलेट प्रकाश को आने से रोकने में कारगर है. रैपिड रेल के मुख्य प्रशासनिक भवन के सबसे ऊपर तीसरी मंजिल में 30 सोला ट्यूब डे लाइट लगाने का काम शुरू हो चुका है.

कैसे काम करती है सोला ट्यूब डे लाइटिंग सिस्टम तकनीक
सोला ट्यूब डे लाइटिंग सिस्टम के अंदर एक ग्लास ट्यूब के जरिए सूर्य का प्रकाश कमरे के अंदर पहुंचाया जाता है. ठीक इसी तरह ग्लास ट्यूब के जरिए ही मुख्य प्रशासनिक भवन में सूर्य के प्रकाश को पहुंचाया जाएगा. फिर दिन के समय सूर्य की रोशनी रहने तक मुख्य वर्किंग डेस्क, कॉरिडोर, कॉमन एरिया और सुलभ सुविधाओं के क्षेत्र में प्रकाश की व्यवस्था रहेगी. इस तकनीक से बिजली की बचत करने में भी काफी मदद मिलेगी. इसके साथ ही सिर्फ एक ग्लास ट्यूब के जरिए ही पूरे भवन में प्रकाश फैल जाएगा. यह मुख्य रूप से सौर ऊर्जा प्रणाली नहीं है. इस प्रणाली की जो सबसे बड़ी खासियत है वह यह है कि इससे कार्बन उत्सर्जन को कम करने में भी काफी मदद मिलेगी.

एनसीआरटीसी के अधिकारियों की मानें तो रैपिड रेल के डिपो की छत और सभी स्टेशनों पर सौर ऊर्जा पैनल लगाए जाएंगे. ऐसा इसलिए ताकि 10 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पन्न करने का लक्ष्य पूरा हो सके. दिल्ली,गाजियाबाद, मेरठ कॉरीडोर के लिए कुल 40 फीसदी तक अक्षय ऊर्जा का इस्तेमाल किया जाएगा.

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