बुर्का फैसले पर सुप्रीम कोर्ट पहुँचा मुस्लिम लॉ बोर्ड, केरल की उलेमा संस्था भी मैदान में

दिल्लीः कर्नाटक में चल रहे हिजाब विवाद को लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। बोर्ड ने कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले को SC में चुनौती दी है। HC ने कहा था कि मुस्लिम महिलाओं द्वारा हेडस्कार्फ पहनना इस्लाम की अनिवार्य धार्मिक प्रथा नहीं है। इसे लेकर बोर्ड ने दो अन्य याचिकाकर्ताओं मुनिसा बुशरा और जलीसा सुल्ताना यासीन के साथ अपने सचिव मोहम्मद फजलुररहीम के जरिए विशेष अनुमति याचिका दायर की है।

इससे पहले 17 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दाखिल की गई थी, जिसमें कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई। यह याचिका सजीदा बेगम ने दायर की है, जिन्होंने कर्नाटक उच्च न्यायालय के समक्ष हिजाब मामले से संबंधित कार्यवाही में भी खुद को एक पक्ष के रूप में शामिल करने की अपील की थी। इस याचिका में भी HC के फैसले को संवैधानिक तौर पर गलत बताया गया है।

कुछ दिनों पहले ही शीर्ष अदालत ने इस मामले की तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। यही नहीं कोर्ट ने हिजाब समर्थक छात्राओं के वकील से कहा था कि इस मामले में सनसनी फैलाने से बचें। दरअसल देवदत्त कामत ने कहा कि था कि एग्जाम शुरू होने वाले हैं, ऐसे में किसी की पढ़ाई को नुकसान से बचाने के लिए तत्काल सुनवाई की जरूरत है। इस पर अदालत ने कहा कि आप इस मामले को सनसनीखेज बनाने से बचें। अदालत ने साफ तौर पर कहा कि हिजाब विवाद का परीक्षाओं से कोई लेना-देना नहीं है।

बता दें कि कर्नाटक हाई कोर्ट की ओेर से स्कूलों और कॉलेजों में हिजाब पर लगे बैन को बरकरार रखा गया है। अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि हिजाब इस्लाम का अहम हिस्सा नहीं है। इसके अलावा अदालत ने साफ कहा था कि संस्थान की ओर से यूनिफॉर्म को लेकर तय किए गए नियम को छात्र चैलेंज नहीं कर सकते। इस फैसले के बाद ही हिजाब समर्थकों के वकील का कहना था कि वह इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। 

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