इस साल विवाह की 75 शुभ तिथियां और मुहूर्त, शुरुआत गुरुवार से, देंखे पूरी लिस्ट…
मकर संक्रांति पर मलमास की समाप्ति के बाद अब 16 जनवरी से शहनाइयां बजेंगी। मध्य प्रदेश में ग्वालियर के ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि इस साल करीब 75 शुभ मुहूर्त हैं।
इन शुभ मुहूर्तों का क्रम जनवरी से दिसंबर तक चलेगा। हालांकि बीच के कुछ महीने ऐसे भी हैं, जिनमें एक भी विवाह के मुहूर्त नहीं हैं।
फरवरी और मई में सबसे ज्यादा शादियां
फरवरी और मई माह में सबसे अधिक विवाह के मुहूर्त बनेंगे। इन माह में जुलाई, अगस्त, सितंबर और अक्टूबर शामिल हैं। वहीं, जून में भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाएंगे। इसके बाद नवंबर और दिसंबर में विवाह के शुभ मुहूर्त रहेंगे।
इस बार गुरु ग्रह वृषभ राशि में रहेंगे और 12 फरवरी तक सूर्य मकर राशि में रहेंगे। विवाह के लिए इन ग्रहों की गणना देखी जाती है। इनका नवम पंचम योग बनेगा। यह नवम पंचम योग लाभकारी रहेगा।
साल 2025 में ये हैं शुभ मुहूर्त
- जनवरी के मुहूर्त: 16, 17, 18, 19, 20, 21, 23, 24, 26 और 27 जनवरी।
- फरवरी के मुहूर्त: 2, 3, 6, 7, 12, 13, 14, 15, 16, 18, 19, 21, 23 और 25 फरवरी।
- मार्च के मुहूर्त: 1, 2, 6, 7 और 12 मार्च।
- अप्रैल के मुहूर्त: 14, 16, 18, 19, 20, 21, 25, 29 और 30 अप्रैल।
- मई के मुहूर्त: 1, 5, 6, 8, 10, 14, 15, 16, 17, 18, 22, 23, 24, 27 और 28 मई।
- जून के मुहूर्त: 2, 4, 5, 7 और 8 जून।
- नवंबर के मुहूर्त: 2, 3, 6, 8, 12, 13, 16, 17, 18, 21, 22, 23, 25 और 30 नवंबर।
- दिसंबर के मुहूर्त: 4, 5 और 6 दिसंबर।
महाकाल का तिलाभिषेक, मोक्षदायनी शिप्रा में हुआ पर्व स्नान
इस बीच, सूर्य के उत्तरायण का महापर्व मकर संक्रांति मंगलवार को सबसे पहले महाकाल के आंगन में मनाया गया। तड़के चार बजे पुजारियों ने भगवान महाकाल का तिलाभिषेक कर पूजा- अर्चना की। इसके बाद तिल्ली से बने पकवानों का महाभोग लगाकर आरती की गई। मोक्षदाययनी शिप्रा में पर्व स्नान हुआ।
देशभर से आए श्रद्धालुओं ने शिप्रा-नर्मदा के जल में आस्था की डुबकी लगाई। भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा स्थली सांदीपनि आश्रम में भी तिल महोत्सव मनाया गया। शिप्रा के त्रिवेणी संगम स्थिति प्राचीन नवग्रह शनि मंदिर में भगवान सूर्य की सवारी निकाली गई।
आनंद का अनंत उल्लास पतंग उत्सव के रूप में दिखाई दिया। युवाओं ने जमकर पतंगबाजी की। बुधादित्य योग में शुरू हुआ मकर संक्रांति का पर्व दिनभर मंगल पुष्य नक्षत्र की साक्षी में मनाया गया। शुभ संयोग में स्नान-दान का विशेष महत्व होने से देशभर से हजारों श्रद्धालु शिप्रा स्नान के लिए उज्जैन पहुंचे। भक्तों ने शिप्रा में पर्व स्नान कर तीर्थ पर दान-पुण्य किया।