नोएडा में पहली बार रोबोटिक सर्जरी से हुआ किडनी ट्रांसप्लांट,म्यांमार के 68 साल के मरीज हुए ठीक
नोएडा, नोएडा में पहली बार म्यांमार के 68 साल के मरीज जॉआ का सफल रोबोट-एडेड किडनी ट्रांसप्लांट किया गया। ये सर्जरी फोर्टिस अस्पताल में की गई। मरीज क्रोनिक किडनी डिजीज से पीड़ित थे। पिछले साल जून से डायलसिस पर थे। मरीज का इलाज डॉ. पीयूष वाष्णेय, डायरेक्टर यूरोलॉजी एंड किडनी ट्रांसप्लांट और उनकी टीम न किया। मरीज को आठ दिन बाद अस्पताल से छुट्टी दी गई। मरीज पेट के भाग में मोटापे से ग्रस्त थे। जिसकी वजह से सर्जरी के बाद हीलिंग में काफी मुश्किलें पेश आई और इंफेक्शन का भी खतरा था।
इसके अलावा, डायलसिस के दौरान भी मरीज को कई समस्याएं हो रही थी। जैसे वे कई बार बेहोश हो जाते, उनकी मांसपेशियों में काफी जकड़न पैदा होती या लो ब्लड प्रेशर की समस्या आ रही थी। वह अपनी दैनिक गतिविधियों को भी ठीक प्रकार से करने में असमर्थ हो गए। ऐसे में उनके परिजनों ने किडनी ट्रांसप्लांट का विकल्प चुना और उपचार के लिए मरीज को फोर्टिस हॉस्पीटल, नोएडा में भर्ती कराया। मरीज को जब अस्पताल लाया गया तो वह काफी कमजोर थे। टॉक्सिन्स के जमाव व डायलसिस के कारगर नहीं होने की वजह से उनका पोषण स्तर भी बिगड़ चुका था। अस्पताल में उनकी विस्तृत तरीके से मेडिकल जांच की गई। जिसमें ब्लड टेस्ट, अल्ट्रासाउंड, कार्डियाक जांच, नसों और धमनियों का मूल्यांकन व अन्य कई टेस्ट किए गए। इनके नतीजों ने किडनी ट्रांसप्लांट की पुष्टि की। लेकिन पेट में मोटापे और कमजोर इम्यूनिटी के चलते रिस्क काफी बढ़ चुका था।
ऐसे में रोबोटिक किडनी ट्रांसप्लांट ही बेहतर विकल्प था। मरीज की बहन अपने भाई के उपचार के लिए डोनर के रूप में आगे आई। डॉ अनुजा पोरवाल, डायरेक्टर नेफ्रोलॉजी ने कहा, ष्रोबोट की मदद से किडनी ट्रांसप्लांट से मरीजों के मामले में बेहतर नतीजे सामने आते हैं। खासतौर से यदि मरीज की उम्र अधिक हो या वे मोटापे के शिकार हो। रोबोटिक सर्जरी की सटीकता के चलते जटिलताओं का रिस्क कम होता है। मरीज की रिकवरी भी तेजी से होती है।छोटे आकार का चीरा लगाने से मरीज को कम तकलीफ होती है और एडवांस टेक्नोलॉजी की सहायता से ट्रांसप्लांट भी अधिक सटीक और सुरक्षित होता है। जिसके परिणामस्वरूप मरीज जल्द स्वास्थ्यलाभ कर अपनी दैनिक गतिविधियों को खुद करने में सक्षम बनते हैं। इस सर्जरी में 5 घंटे का समय लगा। डॉ पीयूष वाष्णेय, डायरेक्टर यूरोलॉजी एंड किडनी ट्रांसप्लांट ने कहा कि ष्रोबोट की मदद से की जाने वाली सर्जरी के कई फायदे होते हैं।
खासतौर से जटिल स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित बुजुर्ग मरीजों के लिए यह उपयोगी साबित होती है। पेट के मोटापे से ग्रस्त मरीजों के मामले में, रोबोट की मदद से की जाने वाली सर्जरी में सर्जिकल साइट तक आसानी से पहुंचा जाता है। यह इंफेक्शन और हर्निया जैसी जटिलताओं को कम करने के साथ-साथ तेजी से रिकवरी में भी सहायक होती है। रोबोटिक ट्रांसप्लांट के लिए पेरी-अंबलिकल रीजन में 5 सेमी आकार का चीरा लगाया जाता है। जो पारंपरिक सर्जरी की तुलना में काफी कम होता है। उसके लिए मांसपेशी में चीरा लगाने की जरूरत होती है। इस प्रक्रिया में, 10Û मैग्नीफिकेशन के चलते धमनियों और नसों की सटीक पहचान हो पाती है। जिससे इस्किमिया (इस कंडीशन में शरीर के किसी भाग में रक्तप्रवाह में कमी की वजह से उस स्थान के टिश्यू को नुकसान पहुंचता है) टाइम और ब्लीडिंग का जोखिम कम होता है।