गंगूबाई काठियावाड़ी के रिलीज़ पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट का इंकार

दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने गंगूबाई काठियावाड़ी फ़िल्म की रिलीज़ पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है और फ़िल्म को बिना किसी बदलाव रिलीज़ करने की अनुमति दे दी है. न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और जेके माहेश्वरी की एक बेंच ने ये आदेश दिए हैं. अब ये फ़िल्म तय दिन यानी 25 फ़रवरी को रिलीज़ होगी.

संजय लीला भंसाली की तरफ़ से वकील आर्यमा सुंदरम ने दलील दी,” हम समाज सुधार का काम कर रहे हैं और कोई बुरा नहीं कर रहे हैं. ये प्रेरित करने वाली फ़िल्म है और ये बताया गया है कि कैसे उनकी छवि बढ़ी और अपने इलाके के लिए उन्होंने काम किया.”

वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी का कहना था, ”ये किताब साल 2011 में आई थी और ये अपमानजनक कतई नहीं है.”

वहीं गंगूबाई के दत्तक पुत्र की तरफ से वकील राकेश सिंह ने वकील सुंदरम और रोहतगी का विरोध किया और कहा ,” ये फ़िल्म किताब पर आधारित है और अगर किताब ही मानहानिकारक है तो फ़िल्म भी मानहानिकारक है.”

इस पर सुप्रीम कोर्ट का कहना था,” इसमें क्या मानहानिकारक है उसका सबूत दे साथ ही कोर्ट का कहना था कि इस मामले में याचिकार्ता से क़ानूनी तौर पर गोद लिए जाने के दस्तावेज़ मांगे.

इस पर याचिकाकर्ताओं के वकील राकेश सिंह का कहना था, ” जैसा की कोर्ट जानता है पहले अनाथ बच्चों का गोद लेना संभव नहीं था.”

इस पर कोर्ट का कहना था ,”ऐसे में इस मामले में क़ानूनी तौर पर गोद ही नहीं लिया गया.”

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने फ़िल्म निर्माताओं से गंगूबाई काठियावाड़ी का नाम बदलने का सुझाव दिया था

ये मामला इससे पहले बॉम्बे हाई कोर्ट में गया था जहां कोर्ट ने इस फ़िल्म की रिलीज़ पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था. हाई कोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी.

गंगूबाई के परिवार की तरफ से केस लड़ रहे वकील नरेंद्र दुबे ने बीबीसी से बातचीत में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कहा,” हम केस हारे नहीं. ये केस आगे भी चलेगा लेकिन परिवार की रिलीज़ पर रोक लगाने की मांग नहीं मानी गई है और फ़िल्म रिलीज़ होगी.”

गंगूबाई के गोद लिए गए बच्चों ने बीबीसी से बातचीत में ये आरोप लगाया था कि उनकी मां एक सोशल वर्कर थी और फ़िल्म में तथ्यों के साथ छेड़छाड़ की गई है.

गंगूबाई ने चार बच्चों को गोद लिया था जिसमें दो लड़के और दो लड़की शामिल है और अब ये परिवार बढ़कर करीब तीस सदस्यों का हो गया है.

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