इमरान सरकार के भीतर ही भारत को लेकर सकारात्मक रुख़

दिल्लीः पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के वाणिज्य, टेक्सटाइल, इंडस्ट्री, निवेश और प्रोडक्शन मामलों के सलाहकार अब्दुल रज़ाक दाऊद ने कहा है कि भारत के साथ व्यापार दोनों देशों के हित में है.

रविवार को रज़ाक ने कहा कि रूस पाकिस्तान में कंस्ट्रक्शन और पाइपलाइन बनाने में निवेश करना चाहता है.

ट्रेड डिवेलपमेंट अथॉरिटी ऑफ पाकिस्तान की ओर से आयोजित इंजीनियरिंग और हेल्थकेयर की एक प्रदर्शनी में मीडिया से बात करते हुए रज़ाक ने कहा कि वाणिज्य मंत्रालय भारत से व्यापार करना चाहता है. मुझे लगता है कि भारत के साथ व्यापार खोल देना चाहिए.”

पाकिस्तान के अंग्रेज़ी अख़बार डॉन ने इस ख़बर को प्रमुखता से जगह दी है. अब्दुल रज़ाक दाऊद ने जो बात मीडिया से भारत को लेकर कही है, उसका वीडियो सोशल मीडिया पर भी शेयर किया गया है.

डॉन के अनुसार, रज़ाक ने कहा कि भारत के साथ व्यापार सभी के लिए बहुत फ़ायदेमंद है और ख़ासकर पाकिस्तान के लिए. रज़ाक ने कहा कि वह भारत से व्यापार शुरू करने का समर्थन करते हैं.

पाकिस्तान ने पाँच अगस्त 2019 के बाद भारत से द्विपक्षीय व्यापार ख़त्म करने का फ़ैसला लिया था और तब से बंद है. पाँच अगस्त, 2019 को भारत ने जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को निष्प्रभावी कर दिया था.

इससे पहले पाकिस्तान के अरबपति कारोबारी मियां मोहम्मद मंशा ने भी कहा था कि भारत के साथ व्यापार शुरू होना चाहिए. इसी महीने तीन फ़रवरी को मियां मोहम्मद मंशा ने कहा था कि अगर पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पटरी पर नहीं आई तो इसके नतीजे भयावह होंगे. उन्होंने यह भी कहा था कि भारत से व्यापारिक रिश्ते सुधारने चाहिए.

मियां मोहम्मद मंशा ने कहा था, ”यूरोप में दो भयावह युद्ध हुए लेकिन शांति और क्षेत्रीय विकास के लिए सब एक हो गए. किसी से स्थायी दुश्मनी नहीं हो सकती.”

मियां मोहम्मद मंशा के इस बयान पर भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त रहे अब्दुल बासित ने कहा था कि वह कारोबारी हैं और नए मार्केट की तलाश में उनका बयान चौंकाने वाला नहीं है.

अब्दुल बासित ने कहा था, ”पाकिस्तान में एक तबका है, जो मानता है कि भारत के साथ तनाव के कारण पाकिस्तान को आर्थिक नुक़सान हो रहा है. लेकिन मैं इससे सहमत नहीं हूँ. मेरा मानना है कि हमारी अर्थव्यवस्था की हालत ठीक नहीं है तो इसका कारण यह नहीं है कि भारत के साथ ताल्लुकात सही नहीं है. मेरा मानना है कि हमारी अंदरूनी वजहें हैं, जिनकी वजह से अर्थव्यवस्था ठीक नहीं है.”

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