मक्का और चावल से बनेगा इथेनॉल
भोपाल। मध्य प्रदेश में भी अब इथेनॉल बनाया जाएगा। सरकार ने इथेनॉल पॉलिसी को मंजूरी दे दी है। यहां चावल और मक्का से इथेनॉल बनाने की योजना है।
इसमें करीब 100 करोड़ के निवेश की संभावना है। शिवराज सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए इथेनॉल पॉलिसी को मंजूरी दे दी है। सरकार इथेनॉल उत्पादन करने वाली औद्योगिक इकाइयों को प्रोत्साहन देगी।
अभी तक 20 से ज्यादा कंपनी इथेनॉल उत्पादन में आगे आई हैं। इसमें खास यह होगा कि इथेनॉल उत्पादन में इकाइयां 100 करोड़ रुपए लगाएंगी तो उन्हें सात साल में लगभग 60 करोड़ रुपए सरकार वापस करेगी।
मध्यप्रदेश में फिलहाल चावल और मक्का से इथेनॉल् बनाया जाएगा। इसका उत्पादन होने पर पेट्रोलियम कंपनियां 51 से 54 रुपए प्रति लीटर में खरीदेंगी। साथ ही 1.50 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से प्रोत्साहन भी दिया जाएगा।
सरकार का 2024 तक प्रदेश में 60 करोड़ लीटर इथेनॉल उत्पादन करने का लक्ष्य है, ताकि पेट्रोल की मौजूदा 230 करोड़ लीटर सालाना खपत में 20 फीसदी इथेनॉल मिलाया जा सके।
इसके पीछे सरकार की मंशा पेट्रोलियम पदार्थों के आयात में होने वाले खर्च को रोकना है। इसके लिए प्रदेश के किसानों से चावल और मक्का खरीदा जाएगा।
साथ ही गोदामों में करीब 20 लाख टन चावल रखा है, उसका उपयोग भी किया जा सकेगा। इथेनॉल दरअसल एक तरह का अल्कोहल है जिसका इस्तेमाल पेट्रोल में मिलाकर गाडिय़ों में किया जा सकता है।
वैसे तो ये गन्ने से बनाया जाता है लेकिन जिस भी चीज में शुगर हो उससे इसे बनाया जा सकता है। इथेनॉल में 35 फीसदी ऑक्सीजन होती है।
इसका उपयोग करने से कार्बन मोनोऑक्साइड उत्सर्जन कम होता है। सरकार देगी ये सुविधाएं – इथेनॉल और जैव ईधन उत्पादन करने वाली कंपनियों को वित्तीय मदद दी जाएगी।
पेट्रोलियम तेल उत्पादन कंपनियों को 1.50 रुपये प्रति लीटर की सहायता सात साल तक दी जाएगी। प्लांट लगाने के लिए जमीन खरीदने पर स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस का सौ फीसदी पैसा वापस कर दिया जाएगा।
उत्पादन शुरू होने की तारीख से पांच साल तक बिजली में 100 प्रतिशत छूट दी जाएगी। पेटेंट शुल्क पांच लाख रुपये तक किया जाएगा।
उद्योग के लिए सड़क बनाने पर जो खच्र आएगा उसका भी 50 प्रतिशत सरकार देगी। इस नीति परअ मल के लिए एमपीआईडीसी को नोडल एजेंसी बनाया गया है।