एनजीटी की रोक के बावजूद क्षेत्र से धड़ल्ले से निकाली जा रही रेत

रायसेनए। जिले के तमाम रेत खदानों पर खनिज विभाग घिरता दिखाई दे रहा है। जब जिले की समस्त रेत खदानें निरस्त पड़ी हुई हैं फिर किस की शह पर दिन दहाड़े जिले की खदानों से रेत परिवहन किया जा रहा है।

आमजन में चर्चाएं हैं कि खनिज अधिकारियों के बड़े.बड़े रेत माफियाओं से मधुर संबंध बने हुए हैं इतना ही नहीं आमजन द्वारा यदि रेत माफियाओं के अवैध रेत भंडारण एवं रेत परिवहन की शिकायत की जाती है तो खनिज अधिकारी रेत माफियाओं को पहले ही सचेत कर देते हैं जिसके चलते शासन को करोड़ों रुपये के राजस्व कर का घाटा उठाना पड़ता है विगत कई वर्षों से मोतल सिर रेत खदान से अवैध रेत भंडारण और रेत परिवहन जोरों पर हे जिसकी खबरें कई चैनलों और अखबारों में प्रकाशित की गई इतना ही नहीं कई लोगों ने खनिज अधिकारियों को फोन कर इस खदान से होने वाले अवैध रेत उत्खनन से भी अवगत कराया किंतु खनिज अमले के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी।

विगत दिनों पूर्व हाईकोर्ट में राजेंद्र रघुवंशी रेत ठेकेदार ने याचिका दायर की थी जिसके संदर्भ में रेत ठेकेदार राजेंद्र रघुवंशी को अब लगभग 20 करोड़ 81 लाख रुपये की राशि जमा करनी होगी तब जाकर जिले की खदानें ठेकेदार रघुवंशी को सुपुरदर्गी में होंगी।

वहीं हाईाकेट्र के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक एवं जज विजय कुमारशुक्ला के बेच ने रायसेन जले की निरस्त रेत खदानों पर रोक लगाते हुए फैसला सुनाया है कि ठेकेदार द्वारा उक्त राशि जमा करने के बाद जिले की खदानें पुनरू शुरू हो जाएंगी जिसमें हाईकोर्ट के ओश अनुसार आगामी 13 सितम्बर 2021 तक राशि जमा करनी होगी।

उक्त राशि हाई कोर्ट में जमा करनी होगी। सबसे अहम फैसला यह है कि राशि जमा हाोने के बाद भी जबतक एनजीटी की रोक लगी हुई है। तब तक रेत खदानों से रेत निकाली जा सकती। एनजीटी की रोक के बावजूद इलाके से धड़ल्ले से रेत का अवैध उत्खनन जारी है।

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