रामबहादुर की रिहाई से पाकिस्तान की जेल में बंद बांदा के छह युवकों के रिहाई की आस जगी

बांदा। बारह वर्ष पहले साइकिल पर घर से निकले रामबहादुर को लेकर उसके माता-पिता और परिवार के लोग उसके लौटने की आस ही छोड़ चुके थे। लेकिन अचानक आई एक खबर ने उनकी आंखों में खुशी के आंसू भर दिए।

अब उनका बेटा पाकिस्तान की जेल से रिहा होकर घर वापस लौटने वाला है। रामबहादुर की रिहाई से बांदा के उन छह परिवारों के चेहरों पर भी चमक आ गई है, जिनके लाल चार साल से पाकिस्तान की जेल में बंद हैं।

पाकिस्तान के लाहौर जेल से रामबहादुर की रिहाई हो गई। पाकिस्तान ने 14 अगस्त को उसे छोड़ दिया था। अभी वह अमृतसर के अस्पताल में भर्ती है। घर कब तक पहुंचेगा इसकी जानकारी परिवार को नहीं है। लेकिन बेटे के भारत आने पर खुशी है।

अतर्रा के पचोखर अंश कोटेदार का पुरवा निवासी बुजुर्ग दंपति गिल्ला और उनकी पत्नी कुसमा ने बताया कि 12 साल पहले बेटा रामबहादुर लापता हो गया था। घर से काम की तलाश में जाने की बात कहकर गया था। साइकिल लेकर निकला था। परिचितों, नाते-रिश्तेदारी में काफी खोजबीन की पर कोई खबर नहीं मिली। अतर्रा थाने में भी सूचना दी।

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