चार राज्यों में 80 लोगों का कराया समाधि मरण

इंदौर।  शहर में 40 स्थानों पर 175 से अधिक श्वेतांबर जैन साधु-साध्वियां चातुर्मास कर रहे हैं। इनमें से श्वेतांबर स्थानकवासी परंपरा के राजेश मुनि महाराज की ख्याति मृत्यु को महोत्सव बनाने के लिए है।

उन्होंने अभी तक चार राज्यों में दिगंबर-श्वेतांबर जैन समाज के सभी संतों से अधिक 80 लोगों का समाधि मरण कराया है। इसमें 22 साल के कैंसर ग्रस्त युवा से लेकर 90 वर्षो के बुजुर्ग तक शामिल है।

उनका कहना है कि जिस व्यक्ति ने जन्म लिया उसकी मृत्यु निश्चत है, चाहे फिर भगवान ने ही इस धरती पर जन्म क्यों न लिया हो। मरने की कला और मृत्यु के स्वागत का नाम ही संथारा है।

पदमावती गार्डन स्कीम नंबर 71 में चातुर्मास कर रहे मुनिश्री कहते है कि जैन धर्म में मृत्यु के समय अपने अगले जन्म को सफल करने के लिए स्वेच्छा से मृत्यु को स्वीकार करने की विधि का नाम संथारा है।

संथारा के समय मृत्यु के लक्षण को देखा जाता है जैसे कि संथारा के इच्छुक व्यक्ति की शारीरिक-मानसिक स्थिति, परिवार की अनुमति के अलावा आनेवाले स्वप्न आदि समझे जाते है।

मैंने इस विषय पर सभी धर्मों का अध्ययन करते हुए पीएचडी की है। संथारा का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति का शरीर से ममत्व व परिवार से राग भाव को समाप्त करना है।

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