दूरदृष्टा की ताकत

बात वर्ष 2005 की है। उस समय पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ भारत यात्रा पर आए थे। इस यात्रा के दौरान उनकी मुलाकात राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से भी होनी थी। मुलाकात के एक दिन पहले डा. कलाम के सचिव पीके नायर ने उनसे कहा कि इस मुलाकात के दौरान मुशर्रफ अवश्य ही कश्मीर का मुद्दा उठाएंगे, इसलिए आपको इसके लिए तैयार रहना चाहिए। कलाम साहब ने कहा कि उसकी चिंता तुम मत करो, मैं सब संभाल लूंगा। अगले दिन कलाम साहब और मुशर्रफ की मुलाकात के दौरान दोनों के बीच 30 मिनट का वार्तालाप हुआ लेकिन आश्चर्य की बात यह रही कि उस दौरान मुशर्रफ ने केवल कलाम साहब की ही बात सुनी। दरअसल डॉ. कलाम उन्हें ‘प्रोवाइडिंग अर्बन फैसिलिटीज टु रूरल एरियाज’ नामक कॉन्सेप्ट का अर्थ समझाते हुए बताते रहे कि आगामी दो दशकों में दोनों देश कैसे इसे हासिल कर सकते हैं। इसी में वार्तालाप का पूरा 30 मिनट का समय निकल जाने के बाद मुशर्रफ ने कलाम साहब को कहा था, ‘धन्यवाद राष्ट्रपति महोदय! भारत वाकई बहुत भाग्यशाली है, जिसके पास आप जैसा वैज्ञानिक राष्ट्रपति है।’

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