थ्री टी नीति से हुई कोरोना पर जीत

योगी ने जीवन और जीविका दोनों बचायी

लखनऊ। कोरोना की दूसरी लहर ने देश-दुनिया में काफी तबाही मचायी, जिससे न सिर्फ आर्थिक व सामाजिक स्तर पर बल्कि मानसिक स्तर पर भी लोगों को कठिनाइयां झेलनी पड़ी। उत्तर प्रदेश में भी इस महामारी ने तबाही मचाने की कोशिश की लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कुशल नेतृत्व व निर्देशन के सामने कोरोना ने घुटने टेक दिये।

कोरोना पर यह जीत यूंही नहीं मिली, बल्कि इसके पीछे योगी आदित्यनाथ की प्रतिबद्धता व शासन-प्रशासन का जुझारूपन उत्तरदायी है। कोरोना महामारी के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ फ्रंटलाइन वर्कर्स के बीच पहुंचकर लगातार उन्हें निर्देशित करते रहे। मुख्यमंत्री स्वयं कोरोना संक्रमित होने पर क्वारांटीन अवधि के दौरान कोविड प्रोटोकाल का पालन करते हुए निरन्तर सक्रिय रहे।

कोरेाना मुक्त होकर उन्होंने कई गांवों का सघन दौरा कर कोरोना प्रभावित लोगों के दरवाजे तक पहुंचकर उनकी स्थिति का जायजा लिया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रदेश के नागरिकों की स्वास्थ्य, सुरक्षा और आजीविका की व्यवस्था के लिए दिखायी गयी तत्परता ने अन्य राज्यों के लिए एक मिसाल कायम की है।

कोरोना अवधि के दौरान मुख्यमंत्री ने कोविड प्रोटोकाल का पालन करते हुए किसानों एवं समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों के साथ संवाद स्थापित किया। जिसमें वर्चुअल माध्यम काफी सफल रहा। मुख्यमंत्री ने प्रतिदिन अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक कर वस्तुस्थिति का जायजा लेते हुए आगे की रणनीति पर विचार विमर्श किया।

थ्री टी माडल ट्रेस, टेस्ट और ट्रीट के मूलमंत्र के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लगातार अस्पतालों पर नजर बनाए रखी। जिलों के चिकित्सालयों का दौरा कर मरीजों से उनका हालचाल पूछा और उनका दर्द बांटा। यह माडल अन्य राज्यों के लिए मार्गदर्शन का कार्य कर रहा हैं।

मुख्यमंत्री ने टीकाकरण अभियान को तीव्रगति प्रदान करते हुए टीकाकरण केन्द्रों का भी निरीक्षण किया, इसके साथ ही उन्होंने जिलों में स्थापित एकीकृत कमांड सेन्टर्स का औचक निरीक्षण का स्थिति का निरन्तर जायजा लिया और आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिये। उन्होंने आशा कार्यकत्रियों, आंगनबाड़ी, वर्करों, स्वास्थ्य कर्मियों से मुलाकात कर उनका उत्साह बढ़ाया।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तत्परता व प्रतिबद्धता के चलते प्रदेश ने कोरोना महामारी पर विजय प्राप्त की है जिसकी तारीफ विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी की है। उन्होंने जान के साथ जीविका बचाने की महती जिम्मेदारी का कुशलतापूर्वक निर्वहन किया।

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