बिहार में हर साल बाढ़ से करोड़ों की संपत्ति का नुकसान

बिहार भारत का सबसे अधिक बाढ़ प्रभावित राज्य है। उत्तर बिहार में 76 प्रतिशत आबादी बाढ़ के खतरे में रहती है। देश के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का 16.5  प्रतिशत बिहार में है। साथ ही देश में बाढ़ से प्रभावित होने वाले लोगों में 22.1 प्रतिशत आबादी बिहार की है।

राज्य के भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 73.06 प्रतिशत बाढ़ प्रभावित है। बाढ़ से लगभग हर साल करोड़ों की संपत्ति नष्ट होती है। हजारों लोग बाढ़ में डूबते भी हैं। सरकार ने 1979 से आंकड़े प्रकाशित करना शुरू किया है।

उसके बाद से अब तक लगभग दस हजार लोगों की जान बाढ़ में डूबने से गई है। उत्तर बिहार के जिले मानसून के दौरान कम से कम पांच प्रमुख बाढ़ की कारक नदियों की चपेट में हैं। महानंदा, कोसी, बागमती, बूढ़ी गंडक और गंडक नदियां लगभग हर साल बाढ़ लाती हैं।

ये सभी नदियां नेपाल से निकलने वाली हैं। इसके अलावा दक्षिण बिहार के कुछ जिले भी सोन, पुनपुन और फल्गु नदियों से बाढ़ की चपेट में आ जाते हैं। पांच साल का औसत निकालें तो लगभग हर साल 19 जिलों में बाढ़ आती है।

इससे 136 प्रखंडों के लगभग 4.5 हजार गांव हर साल प्रभावित होते हैं। औसतन 95 लाख लोग बाढ़ की परेशानी झेलते हैं और 320 लोगों की मौत बाढ़ में डूबने से हो जाती है। इस दौरान लगभग 130 करोड़ की निजी संपत्ति को नुकसान होता है।

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