चिन्नावर चावल को फिर चमकाने की कोशिश

बांदा,संवाददाता। आम आदमी की थाली से तेजी से दूर होते जा रहे बुंदेलखंड के मशहूर चिन्नावर चावल को फिर पुरानी पहचान दिलाने की कुछ किसानों ने कवायदें शुरू कर दी हैं।

खास तरह की खुशबू बिखेरने वाला चिन्नावर चावल किसी जमाने में बुंदेलखंड की शान और पहचान था। देश भर में इसकी मांग थी, लेकिन पिछले करीब डेढ़ दशकों से प्राकृतिक परिस्थितियों और अन्य कार्यों से यह हासिए पर चला गया।

अब क्षेत्र के प्रगतिशील किसान विज्ञान शुक्ला ने चिन्नावर को चमकाने का बीड़ा उठाया है। बताया कि 50 एकड़ में चिन्नावर धान की नर्सरी लगाई है। एक एकड़ में 15 किलो धान लगा है।

महिलाओं ने धान की रोपाई की है। प्रति एकड़ 15 क्विंटल पैदावारी की उम्मीद है। यह 10 हजार रुपये क्विंटल तक बिकता है। इसी तरह खेरवा गांव के प्रगतिशील किसान संजीव अवस्थी भी अपने कृषि फार्म को मॉडल के रूप में कायम किए हुए हैं।

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