तूफान से मुकाबला

वर्षों पहले एक किसान के पास अटलांटिक समुद्र तट पर कुछ कृषि योग्य भूमि थी। वहां भयानक तूफ़ान अक्सर फसलों पर कहर बरपाते थे। किसान को अपनी खेतीबाड़ी के लिए एक नौकर की तलाश थी। लेकिन विपरीत परिस्थितियों को देखते हुए कोई भी मजदूर काम करने के लिए तैयार नहीं होता था।

एक दिन एक अधेड़ उम्र के दुबले-पतले आदमी ने आकर नौकरी करने की इच्छा जताई। किसान ने पूछा-क्या आप इन हालात में काम कर पायेंगे? मजदूर ने जवाब दिया-जब तूफानी हवाएं चलती हैं, तब भी मैं सो सकता हूं।

किसान को उसका उत्तर बड़ा अटपटा लगा परंतु किसान ने उसे काम पर रख लिया। किसान अपने नौकर के काम से पूरी तरह संतुष्ट था। एक रात तेज हवाएं चलनी शुरू हुईं। किसान तूफान के खतरे को भांप कर अपने नौकर के कमरे में पहुंचा और उसको सोते हुए उठाया-उठो तूफान आ रहा है।

उड़ने से पहले सभी चीजें बांध लें। नौकर यह कहते हुए फिर बिस्तर पर लुढ़क गया-मैंने पहले ही कहा था कि जब तूफानी हवाएं चलती हैं, मैं सो सकता हूं। नौकर के इस जवाब से नाराज़ मालिक स्वयं ही सामान को बचाने के लिए अपने खेतों की तरफ दौड़ा।

खेतों पर पहुंचते ही उसके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा, जब उसने देखा कि नौकर ने पहले से ही तूफ़ान के खिलाफ खेत को सुरक्षित कर रखा था। घास के ढेर तिरपाल से ढके थे। सभी पशु कमरे में बंद थे।

मालिक को अब समझ में आई कि यह व्यक्ति तब भी कैसे सो सकता है, जब तूफानी हवाएं चलती हैं। इसी प्रकार जीवन में यदि हम आसन्न तूफानों के लिए पहले से सचेत रहते हैं तो फिर शांत, सुखी, सुरक्षित जीवन जी सकते हैं।

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