35 शहरों में पानी की मांग हाे जाएगी दोगुनी

रुद्रपुर, धरती पर जीवन, प्रकृति के विभिन्न अंगों के बीच समुचित सन्तुलन पर निर्भर है। हर प्रकार के जीव और पेड़ पौधों का जीवन प्रकृति से जुड़ा हुआ है। आधुनिक युग में जीवन की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्राकृतिक साधनों का दोहन तीव्र गति से हो रहा है। सूखे एवं बाढ़ के दोहरे प्रकोप, कृषि के पिछड़ेपन, भीषण गरीबी, अभाव और पलायन की समस्याओं से ग्रस्त क्षेत्रों की व्यापक संख्या है।

इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस 2021 का विषय पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली है। देश में हर साल करीब 4000 अरब घन मीटर वर्षा और हिमपात होता है। इसमें केवल 1869 अरब घन मीटर बरसाती पानी उपयोग के लिए उपलब्ध रहता है। इसमें वास्तविक रूप से सिर्फ 690 अरब घन मीटर पानी का ही उपयोग हो पाता है।

करीब 1179 अरब घन मीटर पानी बरसात के दिनों में बहकर समुद्र में पहुंच जाता है। देश में उपलब्ध 432 अरब घन मीटर भूतलीय जल के साथ 690 अरब घन मीटर बरसाती पानी भी शामिल कर लिया जाए तो भारत को एक अरब से अधिक आबादी के लिए पानी की कुल वास्तविक उपलब्धता 1,112 अरब घन मीटर हो जाती है।

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