निकिता को न्याय
फरीदाबाद के बहुचर्चित निकिता तोमर हत्याकांड में ठीक पांच माह बाद फैसला आने व अपराधियों को सजा मिलने से लोगों का कानून व्यवस्था पर भरोसा बढ़ेगा। यह संयोग ही है कि 26 अक्तूबर को निकिता की हत्या हुई थी और 26 मार्च को ही अभियुक्तों को सजा सुनायी गयी।
फास्ट ट्रैक अदालत ने शुक्रवार को दोनों दोषियों तौसीफ और रेहान को उम्रकैद की सजा सुनायी और बीस-बीस हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। यह तथ्य देश की न्यायिक प्रक्रिया पर जनता का भरोसा बढ़ाने वाला ही है कि मामले में 151 दिन में न्याय हुआ।
हालांकि, मृतक के परिजन दोषियों को मौत की सजा दिये जाने की मांग कर रहे थे। बचाव पक्ष जहां दोषियों की कम उम्र की दुहाई दे रहा था, वहीं पीड़ित पक्ष का मानना था कि यदि ऐसा हुआ तो ये रिहा होकर समाज में दूसरे अपराधों को अंजाम देंेगे।
पीड़िता के परिजन फैसले को ठीक तो बताते हैं लेकिन ऊंची अदालत जाने की बात भी करते हैं। हरियाणा में बेहद चर्चित इस मामले में अभियुक्त निकिता से एकतरफा प्यार करते हुए उस पर धर्म परिवर्तन कर शादी के लिये दबाव बना रहा था।
वर्ष 2018 में भी अभियुक्त ने युवती का अपहरण किया था और इस मामले में मुकदमा भी दर्ज हुआ था। बाद में दोनों पक्षों में समझौता हो गया था। लेकिन अभियुक्त ने उसे तंग करना नहीं छोड़ा।
26 अक्तूबर, 2020 को उसने अपने मित्र रेहान की मदद से बीकॉम की छात्रा निकिता के अपहरण का प्रयास किया था और असफल रहने पर उसकी गोली मारकर हत्या कर दी थी। यह घटना सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई, जो न्याय के लिये बेहद उपयोगी साबित हुई।
कोर्ट ने इसे देखने के साथ ही 55 गवाहों व अन्य सबूतों के आधार पर फैसला सुनाया। वहीं निकिता के परिजन कहते हैं कि इन पांच महीनों में न्याय दिलाने की हमारी लड़ाई अंजाम तक पहुंची है। ये पांच महीने हमने भय, असुरक्षा व दबाव में काटे हैं।
बहरहाल, पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश पर फास्ट ट्रैक कोर्ट में मामले की सुनवाई होने के बाद शीघ्र फैसला आना जहां जनता का भरोसा बढ़ाने वाला है, वहीं अपराधियों को डराने वाला भी है कि राज्य में कानून का राज है।
सरकार ने इस मामले में जनाक्रोश को देखते हुए तत्परता दिखाई और एसआईटी को मामला सौंपा। टीम ने अगले पांच घंटे में मुख्य अपराधी तौसीफ को पकड़कर महज ग्यारह दिन में सात सौ पेज की चार्जशीट दाखिल कर दी थी।
पहले आशंका थी कि अभियुक्त का राजनीतिक परिवार होने के कारण मामले को प्रभावित करने की कोशिश होगी, लेकिन ऐसा हो न पाया। कोर्ट ने तौसीफ व रेहान को हत्या, अपहरण और आपराधिक षड्यंत्र आदि धाराओं में दोषी करार दिया।
बहरहाल, जरूरी है कि राज्य में अन्य अपराधों में भी पुलिस तत्परता से जांच करे और न्यायालयों से शीघ्र न्याय मिले। साथ ही राज्य में लगातार बढ़ते अपराधों पर नियंत्रण के लिये कानून व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करने की जरूरत है।
उन परिस्थितियों पर नियंत्रण करने की जरूरत है जो अपराध के लिये उर्वरा भूमि उपलब्ध कराती हैं। बृहस्पतिवार को अम्बाला में सरेआम दिनदहाड़े कार सवार दो युवकों की हत्या बताती है कि सब कुछ ठीक-ठाक नहीं है।
कोशिश हो कि पुलिस का निगरानी तंत्र मजबूत हो, जांच तंत्र चुस्त-दुरुस्त हो तथा न्यायालय समय पर न्याय दें, ताकि जनता का कानून व्यवस्था पर भरोसा बढ़े। खासकर स्कूल-कालेजों के पास चाक-चौबंद व्यवस्था हो और महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों पर शीघ्र अंकुश लगाया जाये।
महिलाओं को सशक्त बनाने की भी जरूरत है। विलंब न्याय की अवधारणा को क्षति पहुंचाता है। अदालतों में मुकदमों का बोझ, फैसलों में देरी व कम सजा दर अपराधियों के हौसले बढ़ाती है।
जरूरी है कि निचली अदालतें कुशलता व प्रभावी ढंग से काम करें। जघन्य मामलों में फास्ट ट्रैक कोर्ट की प्रक्रिया उम्मीद बढ़ाने वाली है। निस्संदेह, न्यायिक प्रणाली में जनता का विश्वास अंतत: न्याय देने की क्षमता पर ही निर्भर करता है।