RBI ने क्रिप्टो करेंसी को लेकर चिंताओं से सरकार को कराया अवगत

नई दिल्ली: क्रिप्टो करेंसी के लेकर सरकार की तरफ से कुछ भ्रम पैदा करने वाले संकेत आने के बीच दास ने यह बात कही है। इस प्रकार की मुद्राओं में काफी उतार-चढ़ाव को देखते हुए इसे पूर्ण रूप से प्रतिबंधित करने का इरादा जताने के बाद, सरकार ने बिटकॉइन जैसी मुद्राओं को लेकर कुछ नरम रुख दिखाया है। दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक को बाजार में क्रिप्टो करेंसी के कारोबार को लेकर चिंताएं हैं और उसने इस बारे में सरकार को अवगत कराया है। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में केंद्रीय बैंक और वित्त मंत्रालय के बीच कोई मतभेद नहीं है तथा दोनों वित्तीय स्थिरता को लेकर प्रतिबद्ध हैं। हमें इस बारे में केंद्र की तरफ से अंतिम निर्णय का इंतजार करना चाहिए।
उन्होंने कहा, केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा अलग चीज है। जबकि बाजार में कारोबार किए जाने वाली क्रिप्टकरेंसी का मामला कुछ और है। आरबीआई और सरकार दोनों वित्तीय स्थिरता को लेकर प्रतिबद्ध हैं। हमने इस प्रकार की मुद्राओं को लेकर अपनी चिंताएं सरकार को बतायी है। दास ने कहा कि यह मामला अभी भी सरकार के विचाराधीन है और इस बारे में जल्दी ही निर्णय किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आरबीआई मुद्रा (फिएट मनी) के डिजिटल संस्करण पर काम कर रहा है। फिलहाल सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) के वित्तीय स्थिरता पर प्रभाव का आकलन किया जा रहा है।
गवर्नर दास ने कहा कि मौजूदा दशक में भारत में प्रतिस्पर्धी, कुशल और विविध रूप वाले चार अलग तरह के बैंकों के उभरकर आने की उम्मीद है। उन्होंने टाइम्स नेटवर्क इंडिया एकोनॉमिक समिट में कहा कि इसमें कुछ बड़े बैंक होंगे जो देश और दुनिया में फैले होंगे। दूसरा, अर्थव्यवस्था में व्यापक उपस्थिति वाले मध्यम आकार के बैंक होंगे। इसके अलावा लघु वित्त बैंक/क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक तथा सहकारी बैंक होंगे जो छोटे कर्जदारों की जरूरतों को पूरा करेंगे। बैंक की एक अन्य श्रेणी डिजिटल सेवाएं देने वाली इकाइयों की होगी।
उन्होंने कहा कि फिलहाल 10 छोटे एसएफबी और छह भुगतान बैंक काम कर रहे हैं। दास ने कहा, ”मेरा अनुमान है कि चालू दशक में अलग-अलग तरह के बैंक सामने आएंगे। इसमें से कुछ बड़े भारतीय बैंक होंगे जिनकी उपस्थिति घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होगी। दूसरा, अर्थव्यवस्था में व्यापक उपस्थिति वाले मध्यम आकार के बैंक होंगे। जबकि तीसरे प्रकार के बैंकों में छोटे निजी क्षेत्र के बैंक, एसएफबी, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और सहकारी बैंक होंगे जो छोटे कर्जदारों की जरूरतों को पूरा करेंगे। उन्होंने कहा कि चौथी श्रेणी डिजिटल इकाइयों की होगी जो ग्राहकों को सीधे या बैंकों के जरिये उनके एजेंट या सहयोगी भागीदार के रूप में सेवाएं देंगी। सभी खंडों में इस प्रकार की इकाइयां महत्वपूर्ण इकाई के रूप में उभरेंगी।