अमेरिका में नई उम्मीद
ह्वाइट हाउस में बिताए गए उनके चार वर्षों में कई बडे़ रद्दोबदल हुए। मसलनए नस्ल संबंधी मसलों के खिलाफ अमेरिका ने जो लाभ कमाया थाए ट्रंप ने उनमें से ज्यादातर को गंवा दिया। आप्रवासन को उन्होंने जमकर हतोत्साहित कियाए जबकि गैर.यूरोपीय देशों से आए लोगों ने ही अमेरिका का निर्माण किया है।
पर्यावरण से जुड़े सौ से अधिक प्रावधान उन्होंने वापस लिए। मीडिया सहित देश के तमाम संस्थानों को उन्होंने लगातार निशाना बनाया। और तो औरए पेरिस समझौतेए विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसी वैश्विक संधियों.संस्थाओं से उन्होंने अमेरिका को निकाल बाहर कियाए और विश्व नेता की उसकी छवि खंडित करके रूस व चीन जैसे देशों को उस शून्य को भरने दिया।
स्थिति यह थी कि ओवल ऑफिस से विदा होते हुए भी ट्रंप ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव नतीजों को स्वीकार नहीं किया। अपने पूर्ववर्तियों के विपरीतए शांतिपूर्ण तरीके से सत्ता सौंपने के बजाय उन्होंने अपने समर्थकों को बगावत के लिए उकसाया। संक्षेप में कहें तो अमेरिका में अलगाव की लकीर को गहरा करके उन्होंने अपना पद छोड़ा है।
अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति के रूप में जो बाइडन का शपथ लेना इसके इतिहास के एक सबसे दुखद और काले अध्याय का अंत होने के साथ ही उम्मीद व भरोसे से भरे एक नए युग की शुरुआत भी है।
पूर्व उप.राष्ट्रपति और पूर्व सीनेटर बाइडन के राष्ट्रपति पद संभालते ही न सिर्फ अमेरिकाए बल्कि पूरी दुनिया में एक नई सुबह तय है। बतौर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की प्रवृत्ति किस कदर विनाशकारी रहीए इसे देश.दुनिया के तमाम मीडिया ने बताया ही है।
विभिन्न मुद्दों को निपटाने और समस्याओं के समाधान के मामले में भी ट्रंप अमेरिका के अक्षम राष्ट्रपतियों में गिने जाएंगे। कोविड.19 से निपटने का ही मामला लेंए तो इस देश के पास सबसे बड़ा और अत्याधुनिक स्वास्थ्य ढांचा है।
इसे तो अन्य राष्ट्रों के मुकाबले बेहतर तरीके से इस महामारी से लड़ना चाहिए था। मगर कोरोना के कुल वैश्विक मामलों में 25 फीसदी से अधिक यहीं दर्ज किए गए और कुल मौतों में भी 20 फीसदी से अधिक मौतें यहीं हुईंए जबकि यहां वैश्विक आबादी का महज पांच फीसदी हिस्सा ही बसता है।
सुखद है कि अब अमेरिका की कमान एक ऐसे नेता के हाथों में हैए जो देश को इन तमाम मुश्किलों से बाहर निकालने में सक्षम हैं। अपने चुनाव अभियान में बाइडन ने मतदाताओं से वायदा भी किया था कि वह सिर्फ अपने समर्थकों के मुखिया के रूप में नही पूरे राष्ट्र के राष्ट्रपति के रूप में काम करेंगे। जीत के बाद उनके यही शब्द थे कि वह समाज में बढ़ती अलगाव की भावना को कम करने का प्रयास करेंगे।
इतना ही नहींए सुकून की बात यह भी है कि अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में एक ऐसे इंसान ने सत्ता संभाली हैए जो अमेरिकी संस्थानों में विश्वास रखता हैए फिर चाहे वह न्यायपालिका हो विधायिका हो या फिर मीडिया। तथाकथित ष्कंजर्वेटिवष् राष्ट्रपतियों के विपरीत बाइडन तमाम परंपराओं का सम्मान करते रहे हैं।
पिछले चार वर्षों में ह्वाइट हाउस ने ष्जवाबदेही.मुक्त क्षेत्रष् के रूप में काम किया है। बाइडन ने स्पष्ट कहा है कि उनकी सरकार में वह हर तरह से जवाबदेह बनेगा। नए प्रशासन से उम्मीद इसलिए भी ज्यादा हैए क्योंकि विभिन्न विभागों व एजेंसियों के शीर्ष पदों को भरने में विविधताए विषय.वस्तु की विशेषज्ञता और क्षमता का पूरा ख्याल रखा गया है।
माना जा रहा है कि नया प्रशासन जिम्मेदारी संभालते ही कोरोना वायरस सुधार पैकेज तो जारी करेगा हीए ऐसे कई आदेश भी पारित करेगाए जो ट्रंप के कई विवादित फैसलों को पलट देगा। पेरिस जलवायु समझौते में फिर से शामिल होनेए विश्व स्वास्थ्य संगठन का हिस्सा बनने और मुस्लिम देशों पर लगाए गए यात्रा प्रतिबंधों को रद्द करने जैसे कदम इनमें प्रमुखता से शामिल हो सकते हैं।
नई सरकार कोरोना वायरस को लेकर भी कई नियम बना सकती है। जैसे मास्क पहनना अनिवार्य बनाया जा सकता हैए कोविड जांच का दायरा बढ़ाया जा सकता हैए और किराया व देनदारी आदि भुगतान न कर सकने वाले लोगों की बेदखली रोकी जा सकती है।
बाइडन प्रशासन कोविड.19 से युद्धस्तर पर निपटने के लिए तैयार दिख रहा हैए जिसकी तस्दीक इस बात से भी होती है कि नए राष्ट्रपति सत्तासीन होने से पहले ही विशेषज्ञ व वैज्ञानिकों के संपर्क में थे।
इसी तरहए घरेलू व विदेश नीतिए और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी टीमों के गठन में भी अनुभव और प्रतिभा को तवज्जो दी गई है। बाइडन अमेरिका को फिर से विश्व नेता बनाने के लिए तैयार दिख रहे हैं। यह वह हैसियत हैए जिसको अमेरिका एक सदी से भी अधिक समय तक जीता रहा है।
अपने नाटो सहयोगियों के साथ संबंध सुधारनेए और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ऐसी सक्रिय भूमिका निभाने के लिए यह तत्पर दिख रहा हैए जो दुनिया के सभी देशों के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा। निस्संदेहए बाइडन प्रशासन वैश्विक राजनीति और नीतियों में भी हलचल पैदा करेगा। नए राष्ट्रपति ने कहा भी है कि ष्अमेरिका इज बैकष्ए यानी अमेरिका लौट आया हैए और हम एक बार फिर शीर्ष पर आएंगे।
32 साल पहले अपने विदाई भाषण में रिपब्लिकन राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने अमेरिका को ष्शाइनिंग सिटी ऑन अ हिलष् कहा था। खुशहाल अमेरिका की कल्पना करते इस मुहावरे का इस्तेमाल उन्होंने अपने आठ वर्षों के राष्ट्रपति काल मं् लगातार किया।
रोनाल्ड रीगन नेए जो तब सोवियत संघ के साथ शीत युद्ध में मुकाबिल थेए हमेशा अमेरिका को अच्छी ताकत के रूप में देखा था। विडंबना है कि डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका को फिर से महान बनाने का वायदा तो कियाए पर अमेरिका के इस चरित्र को 1ए461 दिनों में खत्म कर दिया।
रीगन जब ह्वाइट हाउस पहुंचे थेए तब बाइडन 39 वर्षीय सीनेटर थे। आज जीवन के आठवें दशक में वह एक बार फिर अमेरिका को अच्छी ताकत बनाने के लिए तैयार हैंए और देश को ष्शाइनिंग सिटी ऑन अ हिलष् बनाना चाहते हैं।