इस बुजुर्ग ने शकुंतला की हथेली देखते हुए कहा-इसे भगवान का वरदान मिला हुआ है….

मानव कंप्यूटर शकुंतला देवी वर्ष 1929 में एक कन्नड़ परिवार के घर में एक बच्ची ने जन्म लिया। हस्तविद्या के जानकार घर के ही एक बुजुर्ग ने इस बच्ची की हथेली देखते हुए कहा कि इसे भगवान का वरदान मिला हुआ है।

परिवार ने सोचा शायद बेटी बड़ी गायिका या नृत्यांगना बन जाएगी, लेकिन यह कोई नहीं समझ पाया कि शकुंतला बड़ी होकर परिवार ही नहीं देश का नाम भी ऊंचा करेंगी। आज की पीढ़ी भले ही उन पर हालिया जारी फिल्म के जरिये जान पाई हो, लेकिन एक गणितज्ञ, ज्योतिषी, लेखिका, बांसुरी वादक ऐसी खूबी किसी विलक्षण प्रतिभा वाले ही व्यक्ति में ही हो सकती है। गणितज्ञ ऐसी कि उन्होंने 13 अंक वाले दो नंबरों का गुणन केवल 28 सेकेंड में बता कर 1982 में अपना नाम गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में दर्ज करा लिया था।

कहते हैं कि शकुंतला की गणित में इस विलक्षण प्रतिभा को उनके पिता ने तीन साल की उम्र में ही पहचान लिया था जब वह उनके साथ ताश खेल रही थीं। छोटी उम्र होने के बावजूद जिस गति से वे अंक याद कर पा रही थीं, पिता को वह अद्भुत लगा और जब वह पांच साल की हुईं तो गणित के सवाल ही सुलझाने लगीं। एक साझात्कार में उन्होंने बताया था कि उन्होंने चार साल की उम्र में ही यूनिवर्सटिी ऑफ मैसूर में एक बड़े कार्यक्रम में हिस्सा लिया और यही उनकी देश-विदेश में गणित के ज्ञान के प्रसार की पहली सीढ़ी बनी। शकुंतला देवी के पिता सर्कस में करतब दिखाते थे।

शकुंतला ने स्कूली पढ़ाई नहीं की थी। अपनी प्रतिभा को भगवान की देन बताने वाली शकुंतला देवी गणित को एक कॉन्सेप्ट और लॉजिक मानती थीं और इसे दुनिया की सच्चाई मानती थीं। उन्होंने अपने इस हुनर का प्रदर्शन दुनिया भर के कॉलेज, थिएटर, रेडियो और टीवी शो पर भी किया। अमेरिका में 1977 में शकुंतला ने कंप्यूटर से मुकाबला किया।

नौ डिजिट की संख्या का घनमूल बता कर उन्होंने जीत हासिल की थी। वर्ष 1980 में लंदन के इंपीरियल कॉलेज में आयोजित एक कार्यक्रम में 13 अंकों वाली दो संख्या चुनी गई। इसका गुणनफल निकालना था। शकुंतला देवी ने इसका जवाब तुरंत बता दिया। लंबी-लंबी गणनाओं से सबको हैरान कर देने वाली शकुंलता पर 1988 में कैलिफोर्निया यूनिवर्सटिी के मनोविज्ञान के प्रोफेसर आर्थर जेंसन ने अध्ययन किया।

जेंसन ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि उनके नोटबुक पर उत्तर लिखने से पहले ही शकुंतला जवाब दे देती थीं।

ऐसा ही एक अनुभव उन्होंने बीबीसी के साथ साझा करते हुए कहा, एक पत्रकार ने मुङो कुछ अंक दिए और कहा कि इसका गुणनफल बताइए। मैंने जवाब दिया तो रिपोर्टर ने कहा कि ये गलत है, मैंने मशीन से गणना की है। फिर हम अकाउंट विभाग में गए और मैं सही साबित हुई।

एटीएन कनाडा को दिए गए एक साझात्कार में सितार वादक से जुड़ा एक किस्सा सुनाते हुए शकुंतला देवी ने बताया था, मैं मुंबई एयरपोर्ट पर बैठी थी और थकी हुई थी। मेरी फ्लाइट देर रात की थी। मेरे बगल में एक व्यक्ति बैठा हुआ था जो काफी थका हुआ लग रहा था और उनके पास सितार था। मैंने पूछा कि यह क्या है? उन्होंने बताया कि यह सितार है। मैंने कहा कि मुङो सितार वादक रवि शंकर बहुत पसंद हैं और अगर तुम्हें भी सितार इतना ही पसंद है तो रवि शंकर से सितार सीखना चाहिए।

इस पर उन्होंने मुङो जवाब दिया कि मेरा ही नाम रवि शंकर है, और हम दोनों मुस्कुराने लगे। जब हवाई जहाज तक जाने के लिए वह बस में चढ़े तो रवि शंकर ने पूछा, आपका नाम क्या है, मैंने कहा, शकुंतला देवी। इस पर वे भी मुस्कुराए। मानव कंप्यूटर के रूप में प्रसिद्धि पाने वाली शकुंतला देवी गणित के अलावा अन्य कई विषयों पर भी कई किताबें लिख चुकी हैं। (बीबीसी से संपादित अंश, साभार)

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