कहां स्थित है झारनी नारसिंह मंदिर? यहां पढ़ें इससे जुड़ी रोचक कथा और रहस्य

झारनी नरसिंह मंदिर (Jharani Narasimha Temple) भक्ति और त्याग का एक अद्भुत संगम है। यहां की यात्रा केवल एक धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि एक ऐसा अनुभव है जो भक्तों को भगवान नरसिंह की कृपा को साक्षात दिखाती है। आइए इस धाम से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं, जो इस प्रकार हैं –

भारत में कई प्राचीन और अद्भुत मंदिर हैं, लेकिन कर्नाटक के बिदर जिले में स्थित झारनी नरसिंह मंदिर जिसे ‘नरसिंह झिरा गुफा मंदिर’ भी कहा जाता है। यह अपने चमत्कारों और रहस्यों को लेकर दुनिया भर में प्रसिद्ध है। इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां भगवान के दर्शन करने के लिए भक्तों को 300 मीटर लंबी एक संकरी गुफा में कमर तक गहरे पानी में चलकर जाना पड़ता है, तो आइए इस धाम (Jharani Narasimha Temple) से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में जानते हैं, जो इस प्रकार हैं –

कहां स्थित है यह मंदिर?

यह पवित्र मंदिर कर्नाटक के बीदर शहर के 4.8-5 किमी दूर, मलकापुर रोड/मंगलपेट इलाके में एक गुफा के अंदर स्थित है। यह मंदिर भगवान विष्णु के चौथे अवतार भगवान नरसिंह को समर्पित है। गुफा में भगवान नरसिंह की स्वयंभू प्रतिमा विराजमान है, जहां दर्शन के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।

झारासुर वध की रोचक कथा

ऐसा कहा जाता है कि भगवान नरसिंह ने जब राक्षसराज हिरण्यकशिपु का वध किया, उसके बाद उनका क्रोध शांत नहीं हुआ था। उसी समय झारासुर (Jharasura) नाम के एक असुर का प्रकोप बढ़ रहा था। उस राक्षस से लोग बहुत परेशान थे। लोगों को उससे मुक्त कराने के लिए भगवान नरसिंह और झारासुर के बीच भीषण युद्ध हुआ और भगवान नरसिंह ने उसका असुर का वध कर दिया।

मरते समय झारासुर को अपनी गलतियों का एहसास हुआ और उसने भगवान से क्षमा मांगी। उसने अपनी अंतिम इच्छा के रूप में प्रार्थना की कि वह जल के रूप में सदा भगवान के चरणों में रहकर उनकी सेवा करना चाहता है। उसकी प्रार्थना भगवान नरसिंह ने स्वीकार कर ली। माना जाता है कि तब से आज तक झारासुर एक झरने के रूप में गुफा में बहता है और प्रभु के चरणों का अभिषेक करता रहता है और इसी वजह से इसका नाम ‘झारनी नरसिंह’ धाम पड़ा।

मंदिर के अनसुलझे रहस्य

गुफा में कमर तक पानी साल के 12 महीने और 24 घंटे बना रहता है।

इस गुफा का पानी कभी नहीं सूखता है।

यह एक प्राचीन गुफा है और इसके अंदर हजारों भक्त एक साथ होते हैं, फिर भी यहां ऑक्सीजन की कभी कमी नहीं होती।

कहा जाता है कि गुफा का पानी गर्मियों में ठंडा और सर्दियों में हल्का गर्म रहता है।

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