प्रवासियों की लाचारीः नमक रोटी खायेंगे पर बाहर कभी नहीं जायेंगे
हरियाणा से घर वापसी को निकले प्रवासी कामगारों से ट्रक चालक ने की पैसा वसूली जनपद की सीमा पर प्रवासियों को उतारकर लौट गया ट्रक, तपती धूप में भर आयी आंखें
हमीरपुर ब्यूरो। लाँक डाउन के बीच महाराष्ट्र और हरियाणा से प्रवासीमजदूरों के पलायन करने का सिलसिला लगातार जारी है। भूखे और प्यासे इन प्रवासी मजदूरों के लिये जहां मोदी सरकार एतिहासिक फैसले ले रही है वहीं ट्रक वाले इन लाचार प्रवासियों से पैसा भी वसूली कर रही है। हरियाणा से घर वापसी को निकले पचास प्रवासियों से एक ट्रक वाले ने लिफ्ट तो दी लेकिन बीच रास्ते में सभी से जमकर पैसा वसूली कर हमीरपुर जनपद की सीमा पर छोड़ दिया गया जहां से ये मजदूर 40 डिग्री सेल्सियस के तापमान के बीच मंजिल के लिये पैदल ही चल दिये है।
इन प्रवासियों की भूख और प्यास बुझाते हुये बातचीत की तो उनकी आंखें भर आयी। प्रवासियों ने अपना दर्द बया करते कहा कि अब भविष्य में कभी भी काम धंधे के लिये बाहर नहीं जायेंगे। भले ही अपने घर में नमक रोटी क्यों न खाने को मिले। बुन्देलखंड के बांदा, चित्रकूट, महोबा और हमीरपुर के अलावा अन्य इलाकों हजारों की संख्या में कामगार हरियाणा और महाराष्ट्र मजदूरी करने गये थे। लाँक डाउन में काम धंधे बंद हो जाने से कामगारों के सामने खाने पीने का संकट गहरा गया।
हरियाणा में एक कपड़े की फैक्ट्री में काम करने वाले बांदा निवासी राजेश कुमार, रामबली, महोबा निवासी राज, सुनील कुमार, चित्रकूट निवासी दयाराम सहित तमाम प्रवासी कामगार हरियाणा से पैदल ही निकल पड़े। इन लोगों की किस्मत अच्छी थी कि सभी लोगों को हरियाणा में एक ट्रक चालक मिल गया जिससे सभी लोग उसमें सवार हो गये। ट्रक चालक कुछ किमी दूर चलकर
रास्ते में सभी को नीचे उतारकर साढ़े सत्रह सौ रुपये प्रति सवारी के हिसाब से किराया वसूला। प्रवासी मजदूरों ने घर वापसी के लिये अपनी जेबें खाली कर दी। बताते है कि प्रवासी लोगों को ट्रक चालक ने शुक्रवार को सुबह हमीरपुर की सीमा में उतारकर वापस चला गया जिससे सभी प्रवासी लोग वहां से पैदल ही घर के लिये निकल पड़े।
कई घंटे तक पैदल चलकर ये प्रवासी हमीरपुर शहर के बस स्टाप के पास आये तो चिलचिलाती धूप में पसीना से सभी मजदूर परेशान हो गये। भूख प्यास मिटाने के बाद प्रवासियों का दर्द सुना गया। प्रवासी मजदूरों ने बताया कि लाँक डाउन में सभी के सामने खाने पीने का संकट आ गया। कुछ दिनों तक तो किसी तरह पानी पीकर काम चलाया गया लेकिन सब कुछ सामान्य होने की उम्मीद खत्म होने पर वहां से घर वापसी के लिये फैसला किया गया। अधिकारियों से साधन के लिये टाल फ्री नम्बर पर सम्पर्क किया गया लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। मकान मालिक भी बिना किराये घर से निकलने पर रोक लगाये था।
इसलिये रात एक बजे सभी लोग चुपके से घर से पैदल ही निकल पड़े। प्रवासी युवकों ने बताया कि कुछ किमी दूर चलने के बाद एक ट्रक मिला जिसमें चालक ने प्रति साढ़े सत्रह सौ रुपये किराया के हिसाब से पैसा लेकर ट्रक में बैठाया और हमीरपुर शहर से पहले रास्ते में सभी को उतार दिया गया। प्रवासी मजदूरों ने अपना दर्द बया करते हुये कहा कि दो दिन से किसी को भी खाने के लिये कुछ नहीं मिला है। रात से सभी लोग प्यासे थे।
सभी प्रवासियों ने बताया कि अभी मंजिल 90 किमी दूर है जिसे पैदल ही तय करना है। बता दे कि पिछले कई दिनों से महाराष्ट्र और हरियाणा से तमाम लोग पैदल चलकर यहां आये है। और अभी भी गैर राज्यों से आने का सिलसिला जारी है।