यूपी: कैबिनेट ने राज्य में वृद्धावस्था पेंशन को लेकर बडा फैसला

उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने राज्य में वृद्धावस्था पेंशन को लेकर एक बड़ा निर्णय लिया है। अब पात्र वरिष्ठ नागरिकों को पेंशन के लिए अलग से आवेदन करने की आवश्यकता नहीं होगी। समाज कल्याण मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण ने बताया कि फैमिली आईडी ‘एक परिवार-एक पहचान’ प्रणाली से पात्र लाभार्थियों का स्वतः चिन्हीकरण होगा और उनकी सहमति मिलने पर पेंशन सीधे स्वीकृत की जाएगी। वर्तमान में 67.50 लाख वरिष्ठ नागरिक इस योजना का लाभ ले रहे हैं, लेकिन बड़ी संख्या में ऐसे लोग भी हैं जो प्रक्रिया पूरी न कर पाने के कारण पेंशन से बाहर रह जाते हैं। नया फैसला इसी समस्या को हल करने पर केंद्रित है।
नई व्यवस्था में फैमिली आईडी के आधार पर उन नागरिकों की सूची स्वतः तैयार होगी, जिनकी आयु अगले 90 दिनों में 60 वर्ष होने जा रही है। यह सूची एपीआई के माध्यम से समाज कल्याण विभाग के पेंशन पोर्टल पर भेजी जाएगी। विभाग सबसे पहले एसएमएस, व्हाट्सऐप और फोन कॉल जैसे डिजिटल माध्यमों से पात्र नागरिकों से सहमति लेगा। जिनकी सहमति डिजिटल रूप से नहीं मिलेगी, उनसे ग्राम पंचायत सहायक, कॉमन सर्विस सेंटर या विभागीय कर्मचारी भौतिक रूप से संपर्क करेंगे। दोनों स्तरों पर सहमति न मिलने पर ऐसे नाम प्रक्रिया से हटा दिए जाएंगे।
टोल व खनन पट्टों के लिए स्टांप शुल्क में छूट नहीं
यूपी कैबिनेट ने रेंट एग्रीमेंट पर लगने वाले स्टांप शुल्क में 90 फीसदी तक कमी के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। वहीं, टोल संबंधी पट्टों एवं खनन पट्टों को इस राहत से मुक्त रखा है क्योंकि इनमें राजस्व हानि की आशंका अधिक रहती है।
स्टांप एवं पंजीयन राज्यमंत्री रविंद्र जायसवाल ने बताया कि व्यापक जनहित में एक वर्ष तक के मानक किरायानामा विलेखों को प्रोत्साहित करने और 10 वर्ष तक की अवधि वाले किरायनामों की रजिस्ट्री के लिए स्टाम्प शुल्क और रजिस्ट्रीकरण फीस की अधिकतम सीमा तय की गई है। इससे किरायेदारों और भवन स्वामियों पर आर्थिक बोझ कम होगा तथा किरायानामा औपचारिक रूप से रजिस्टर्ड कराने की प्रवृत्ति बढ़ेगी। औसत वार्षिक किराया अधिकतम 10 लाख रुपये तक की सीमा में आने वाले किरायानामा विलेखों पर यह छूट लागू होगी। टोल संबंधी पट्टों एवं खनन पट्टों को इस राहत से मुक्त रखा गया है, क्योंकि इनमें राजस्व हानि की आशंका अधिक रहती है।
20 कर्मचारियों से कम वाले प्रतिष्ठानों को पंजीयन से छूट
प्रदेश सरकार ने श्रम कानूनों का सरलीकरण करते हुए छोटे कारोबारियों को राहत दी गई है। अब 20 से कम कर्मकारों वाले प्रतिष्ठानों के लिए पंजीयन अनिवार्य नहीं होगा। अभी तक एक या इससे अधिक कर्मियों वाले प्रतिष्ठानों का पंजीयन भी अनिवार्य था। कैबिनेट की शुक्रवार को हुई बैठक में इससे जुड़े दुकान और वाणिज्य अधिष्ठान अधिनियम 1962 में महत्वपूर्ण संशोधन को मंजूरी दे दी गई।
फैसले की जानकारी देते हुए श्रम मंत्री अनिल राजभर ने बताया कि संशोधन के तहत यह अधिनियम अब उन प्रतिष्ठानों पर लागू होगा जिनमें 20 या उससे अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं। इससे छोटे प्रतिष्ठान बिना अतिरिक्त बोझ के अपनी आर्थिक गतिविधि को सुचारू रख सकेंगे, जबकि बड़े प्रतिष्ठानों में कार्यरत कर्मचारियों को अधिनियम के तहत मिलने वाले सभी लाभ मिलेंगे। सरकार का मानना है कि इससे प्रदेश में व्यापारिक गतिविधियां और तेज होंगी। वहीं, इस अधिनियम की सीमा नगरीय क्षेत्रों से बढ़कर पूरे प्रदेश में हो गई है। इससे अधिकतम श्रमिक कानूनी संरक्षण के दायरे में आएंगे और उनके अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित होगी।
श्रम मंत्री ने बताया कि संशोधन का दायरा बढ़ने से चिकित्सकीय इकाइयों जैसे क्लीनिक, पॉलीक्लीनिक, प्रसूति गृह, आर्किटेक्ट, कर सलाहकार, तकनीकी सलाहकार, सेवा प्रदाता, सेवा मंच और इसी तरह के अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को भी कानून के अंतर्गत शामिल कर लिया गया है। इससे इन प्रतिष्ठानों में काम करने वाले कर्मचारियों को भी सुरक्षित कार्य परिस्थितियों और लाभों का अधिकार मिलेगा।
गन्ना मूल्य वृद्धि को कैबिनेट की मंजूरी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई कैबिनेट की बैठक में गन्ना मूल्य में वृद्धि के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई। अगेती प्रजातियों के लिए 400 रुपये प्रति क्विंटल, सामान्य प्रजाति के लिए 390 रुपये प्रति क्विंटल और अनुपयुक्त प्रजाति के लिए 355 रुपये प्रति क्विंटल मूल्य निर्धारित किया गया है। गन्ना विकास मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने बताया कि चीनी मिलें राज्य परामर्शित मूल्य के आधार पर गन्ना मूल्य का भुगतान करेंगी। चीनी मिलों के बाह्य क्रय केंद्र से गन्ने का परिवहन मिल गेट तक कराए जाने में होने वाली ढुलाई कटौती की दर 60 पैसे प्रति क्विंटल प्रति किमी निर्धारित की गई है, लेकिन यह अधिकतम 12 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित की गई है। गन्ना समितियों और गन्ना विकास परिषदों को देय अंशदान की दर 5.50 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित की गई है।
अब चैनमैन भी बन सकेंगे लेखपाल
अब चैनमैन लेखपाल के पद पर पदोन्नत हो सकेंगे। इसके लिए लेखपाल सेवा नियमों में बदलाव के प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि पंचम संशोधन नियमावली 2025 के तहत अब लेखपाल के कुल पदों में से दो प्रतिशत पद योग्य चैनमैन को पदोन्नति देकर भरे जाएंगे। यह पहली बार है जब चैनमैन को लेखपाल पद तक प्रमोशन का अवसर मिलेगा।
वर्तमान में लेखपाल के सभी पदों पर भर्ती अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के माध्यम से की जाती है। प्रदेश में कुल 30837 स्वीकृत पदों में से 21897 पर तैनाती है, जबकि 8940 पद रिक्त हैं। नई व्यवस्था के तहत वे चैनमैन पदोन्नति के लिए पात्र होंगे, जो मौलिक रूप से इसी पद पर नियुक्त हों। साथ ही भर्ती वर्ष के पहले दिन तक छह वर्ष की सेवा पूरी कर चुके हों और इंटरमीडिएट या समकक्ष योग्यता रखते हों।
इन पात्र चैनमैन का चयन एक चयन समिति की सिफारिश पर किया जाएगा। सरकार के प्रवक्ता का कहना है कि अनुभवी चैनमैन को लेखपाल के रूप में पदोन्नत करने से न सिर्फ विभाग की कार्यक्षमता बढ़ेगी, बल्कि जमीनी स्तर पर योजनाओं का क्रियान्वयन भी और तेज होगा।
अतिरिक्त निवेश पर अशोक लीलेंड को संशोधित एलओसी जारी होगा
स्कूटर इंडिया की जमीन पर बने अशोक लीलैंड लिमिटेड के इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) संयंत्र में 66 करोड़ रुपये के अतिरिक्त निवेश को लेकर संशोधित लेटर आफ कंफर्ट (एलओसी) जारी किया जाएगा। अशोक लीलैंड को पहले फार्च्यून इंडिया श्रेणी के अंतर्गत 186 करोड़ रुपये के निवेश को लेकर औद्योगिक विकास विभाग द्वारा एलओसी जारी किया गया था। कैबिनेट की बैठक में 66 करोड़ रुपये का अतिरिक्त निवेश करने को लेकर कंपनी को पूर्व में जारी किए गए एलओसी में संशोधन का प्रस्ताव स्वीकृत किया गया है। इसके बाद कंपनी को देय सब्सिडी की राशि भी ज्यादा हो जाएगी। इस संदर्भ में इंपाॅवर्ड कमेटी की बैठक में प्रस्ताव पास किया गया था।
मुख्य सड़क से ढाई किमी अंदर भी बनेंगे प्लेज पार्क, सरकार देगी सुविधाएं
छोटे उद्यमियों के लिए जमीन का संकट दूर करने के लिए कैबिनेट ने प्लेज पार्क योजना में संशोधन को स्वीकृति दे दी है। अब मुख्य सड़क से 2.5 किलोमीटर अंदर भी प्लेज पार्क बनाए जा सकेंगे बशर्ते पार्क न्यूनतम 15 एकड़ या इससे ज्यादा के हों। औद्योगिक पार्क के अंदर तक सड़क और भूमि अधिग्रहण सहित सारी सुविधाएं सरकार देगी। इसी के साथ राज्य में निजी निवेशकों द्वारा 12 मीटर के बजाय सात मीटर चौड़ी सड़कों पर भी प्लेज पार्कों को विकसित करने का रास्ता साफ हो गया। ये पार्क सभी 75 जिलों में बनेंगे। ये जानकारी कैबिनेट बैठक के बाद एमएसमएमई मंत्री राकेश सचान ने दी।
सचान ने बताया कि प्लेज पार्क (प्रमोटिंग लीडरशिप एंड इंटरप्राइज फार डेवलपमेंट ऑफ ग्रोथ इंजन) योजना राज्य सरकार ने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र के लिए वर्ष 2023 में शुरू की थी। इसके तहत पास 10 से 50 एकड़ तक जमीन का मालिकाना हक रखने वाले निवेशक इस योजना में शामिल हो सकते हैं। सरकार इस योजना के तहत किसी निजी कंपनी को प्रति एकड़ एक प्रतिशत ब्याज पर 50 लाख का कर्ज देती है और पीपीपी मोड में औद्योगिक पार्कों का विकास किया जाता है।
उन्होंने बताया कि योजना के तहत निजी कंपनियों व किसानों को 15 से 50 एकड़ भूमि पर औद्योगिक पार्कों की स्थापना के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। प्लेज पार्कों तक 2.5 किलोमीटर सड़क के निर्माण के जिम्मेदारी लोक निर्माण को सौंपी गई है। योजना में संशोधन के बाद यह शर्त भी जोड़ी गई है कि सात मीटर चौड़ी सड़कों के किनारे बनने वाले प्लेज पार्कों में ग्रीन (आरेंज) श्रेणी की औद्योगिक इकाइयों की ही स्थापना की जा सकेगी, जबकि 12 मीटर चौड़ी सड़कों के किनारे हर प्रकार की औद्योगिक इकाइयां स्थापित हो सकेंगी।
विकास प्राधिकरण पास करेंगे नक्शा
विभिन्न विकास प्राधिकरणों की सीमा में स्थापित होने वाले प्लेज पार्कों के निवेशकों से एमएसएमई विभाग 25 प्रतिशत विकास शुल्क वसूलेगा। सीमा से बाहर बनने वाले प्लेज पार्कों से यह शुल्क नहीं लिया जाएगा। संबंधित विकास प्राधिकरण द्वारा प्लेज पार्कों का नक्शा पास किया जाएगा। विकास प्राधिकरण की सीमा से बाहर बनने वाले प्लेज पार्कों का नक्शा उद्योग विभाग के आयुक्त एवं निदेशक या उनके द्वारा नामित अधिकारी द्वारा स्वीकृत किया जाएगा। योजना में संशोधन के बाद एक शर्त यह भी जोड़ी गई है कि संपूर्ण प्लेज पार्क को एक इकाई माना जाएगा। इसलिए इनमें स्थापित होने वाली इकाईयों को अलग-अलग स्टांप शुल्क नहीं देना पड़ेगा। भूखंडों के आवंटन के लिए संबंधित जिलाधिकारी द्वारा एक समान सर्किल दर निर्धारित की जाएगी। साथ ही निवेशकों को 10 प्रतिशत भूमि पर औद्योगिक व वाणिज्यिक सुविधाएं विकसित करनी होंगी।
प्रदेश में होगी 40521 सोलर पंपों की स्थापना
प्रदेश में प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएम-कुसुम) योजना के तहत वर्ष 2025-26 में 40521 सोलर पंप लगाए जाएंगे। इन पंपों की स्थापना वर्ष 2024-25 के अवशेष लक्ष्य की पूर्ति के लिए किए जाएंगे। शुक्रवार को हुई कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है।
अतिदोहित एवं क्रिटिकल क्षेत्रों को छोड़कर नये क्षेत्रों में सिंचाई के लिए एक एचपी से 10 एचपी तक के स्टैंड अलोन सोलर पंपों की स्थापना पर अनुदान की व्यवस्था दी गई है। योजना के तहत वर्ष 2020-21 से मार्च 2025 तक कुल 63345 सोलर पंपों की स्थापना कराई गई है। स्थापित सोलर पंपों से 1.49 लाख हेक्टेयर सिंचन क्षमता का सृजन, 5483.98 लाख यूनिट प्रति वर्ष ऊर्जा की बचत हो रही है। इसी तरह 1.26 लाख मीट्रिक टन प्रति वर्ष कार्बन उत्सर्जन में कमी हुई है। सोलर पंपों की स्थापना से डीजल पंप सेट को परिवर्तित करते हुए कुल 877.50 लाख लीटर डीजल प्रतिवर्ष बचत हो रही है।
प्रदेश में अधिक से अधिक किसानों को सोलर पंप देने के लिए टेंडर मूल्य पर 60 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। किसानों का चयन कृषि विभाग के पोर्टल के माध्यम से टोकन प्रक्रिया के आधार पर पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर किया जाएगा। आवेदन के समय कृषक को 5000 रुपये टोकन मनी के रूप में ऑनलाइन जमा करना होगा। सोलर पंप के लिए बुकिंग जनपदवार एवं क्षमतावार आवंटित लक्ष्यों की सीमा के अंतर्गत की जाएगी।
न्यायिक सेवा के अधिकारियों के लिए वाहन एडवांस 10 लाख तक
कैबिनेट ने न्यायिक सेवा के अधिकारियों को कार खरीदने के लिए 10 लाख रुपये तक एडवांस स्वीकृत करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। वाहन की कीमत या 10 लाख रुपये में जो भी कम होगा, उसके बराबर अग्रिम राशि स्वीकृत की जाएगी। इस पर 5 प्रतिशत की दर से साधारण ब्याज देय होगा। अभी तक अधिकतम राशि 8 लाख रुपये दी जा सकती थी।





