बुखार मे ऐसे करे निमोनिया के संकेतो की पहचान

निमोनिया दुनियाभर में स्वास्थ्य के लिए एक बड़ी चिंता है, खासकर बच्चों के लिए। यह फेफड़ों का एक गंभीर संक्रमण है जो बैक्टीरिया, वायरस या फंगस के कारण हो सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, निमोनिया पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मौत का सबसे बड़ा संक्रामक कारण है। हर साल इस बीमारी के कारण 7.25 लाख से अधिक बच्चे अपनी जान गंवा देते हैं, जिनमें लगभग 1.90 लाख नवजात शिशु भी शामिल हैं। नवजात शिशु इस संक्रमण के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील होते हैं।

निमोनिया की गंभीरता को देखते हुए, लोगों को इसके बचाव और रोकथाम के बारे में जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल 12 नवंबर को विश्व निमोनिया दिवस मनाया जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि इस जानलेवा संक्रमण से बचने के लिए लगातार प्रयास और जागरूकता बहुत जरूरी है।

क्या होता है निमोनिया?
निमोनिया एक ऐसी स्थिति है जब फेफड़ों की छोटी हवा की थैलियों (एल्वियोली) में तरल पदार्थ भर जाता है, जिससे सांस लेने में गंभीर कठिनाई होती है। यह संक्रमण बैक्टीरिया, वायरस या फंगस के कारण होता है। वैसे तो निमोनिया किसी को भी हो सकता है, लेकिन कुछ विशिष्ट समूह के लोग इस बीमारी के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं और उनमें जटिलताएं बढ़ने का जोखिम काफी अधिक होता है।

इन अति संवेदनशील समूहों में संक्रमण का खतरा और गंभीरता दोनों अधिक होती है, जिसके कारण उन्हें विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है। यह जानलेवा बीमारी हर साल लाखों लोगों की जान लेती है, और सही जानकारी एवं समय पर सावधानी से इस जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इसलिए आइए इस लेख में इसी के बारे में जानते हैं कि किन्हें इस बीमारी का खतरा अधिक होता है और इससे बचाव के लिए क्या करना चाहिए?

उच्च जोखिम वाले लोग
निमोनिया का सबसे अधिक खतरा 5 साल से कम उम्र के बच्चों और 65 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों को होता है, क्योंकि उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली या तो अपरिपक्व होती है या उम्र के साथ कमजोर हो चुकी होती है। इसके अलावा जो लोग धूम्रपान करते हैं उनमें निमोनिया का खतरा अधिक होता है, क्योंकि तंबाकू के धुएं से फेफड़ों के अंदरूनी ऊतक लगातार क्षतिग्रस्त होते रहते हैं, जिससे उनमें संक्रमण से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है।

पुरानी बीमारियों से जूझ रहे मरीज
जिन लोगों को पहले से ही क्रोनिक बीमारियां हैं, उन्हें निमोनिया का खतरा अधिक होता है। इनमें डायबिटीज के मरीज, अस्थमा या सीओपीडी के मरीज, और हृदय रोग से जूझ रहे लोग शामिल हैं। इसके साथ ही एचआईवी/एड्स या कैंसर के इलाज (जैसे कीमोथेरेपी) से गुजर रहे लोग भी अधिक जोखिम वाली श्रेणी में आते हैं, क्योंकि उनका इम्यून सिस्टम बहुत कमजोर हो जाता है।

टीकाकरण (वैक्सीनेशन) है सबसे बड़ी ढाल
निमोनिया से बचाव का सबसे प्रभावी उपाय टीकाकरण है। 65 वर्ष से अधिक उम्र के सभी बुजुर्गों और क्रोनिक बीमारियों से जूझ रहे लोगों को डॉक्टर की सलाह पर न्यूमोकोकल वैक्सीन जरूर लगवानी चाहिए। इसके अलावा फ्लू का वार्षिक टीका भी जरूर लगवाना चाहिए, क्योंकि फ्लू होने से अक्सर निमोनिया का जोखिम बढ़ जाता है।

स्वच्छता और प्रदूषण से बचाव के उपाय
निमोनिया से बचने के लिए स्वच्छता और वातावरण का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। हाथों को नियमित रूप से धुलें। प्रदूषण के अधिक स्तर के दौरान घर के अंदर रहें और एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें। यदि बाहर जाना जरूरी हो, तो N95 या N99 मास्क पहनना अनिवार्य है। डाइट में विटामिन सी और जिंक से भरपूर खाद्य पदार्थ शामिल करें।

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