शरीर में कैसे होती है Cancer की शुरुआत… क्या हैं इसके अलग-अलग स्टेज?

हर साल लाखों लोग Cancer की चपेट में आते हैं और कई अपनी जान गंवा देते हैं लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह बीमारी आखिर शरीर में कैसे शुरू होती है और कैसे धीरे-धीरे अपने पैर पसारती है? बता दें कैंसर कई तरह के होते हैं और हर कैंसर के फैलने का तरीका अलग होता है। आइए डॉक्टर से समझते हैं इसके अलग-अलग स्टेज के बारे में।

कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसके बारे में सुनते ही मन में डर पैदा हो जाता है। वजह साफ है- यह बीमारी धीरे-धीरे शरीर के किसी भी हिस्से में पनप सकती है और समय रहते इलाज न हो तो जानलेवा भी साबित हो सकती है।

कैंसर की सबसे बड़ी चुनौती यही है कि यह शुरुआत में बहुत हल्के लक्षण दिखाता है, जिन पर लोग ध्यान नहीं देते, लेकिन अगर शुरुआती स्टेज पर ही इसकी पहचान हो जाए तो पेशेंट की जिंदगी बचाई जा सकती है। यही कारण है कि डॉक्टर कैंसर को अलग-अलग चरणों (Stages Of Cancer) में बांटते हैं, ताकि मरीज और उसके परिवार को समझ में आ सके कि बीमारी किस स्टेज पर है और उसका इलाज किस तरह होना चाहिए।

कैंसर का स्टेज-1
डॉक्टर तरंग कृष्णा के मुताबिक, कैंसर की शुरुआत इसी स्तर से होती है। अगर ब्रेस्ट कैंसर का उदाहरण लें तो स्तन में एक छोटी गांठ बन सकती है। इस समय गांठ का आकार अक्सर 2 सेंटीमीटर से छोटा होता है।

इस अवस्था में कैंसर सिर्फ अपनी जगह तक सीमित रहता है और आसपास नहीं फैलता।
मरीज को अक्सर दर्द या कोई बड़ा लक्षण महसूस नहीं होता।
यही वह समय है जब नियमित जांच या स्क्रीनिंग टेस्ट से कैंसर की पहचान सबसे आसानी से की जा सकती है।
अगर इस स्तर पर कैंसर पकड़ में आ जाए, तो उपचार की सफलता की संभावना बहुत ज्यादा होती है। यही कारण है कि डॉक्टर नियमित हेल्थ चेकअप की सलाह देते हैं।

कैंसर का स्टेज-2
दूसरे चरण में कैंसर की गांठ का आकार बढ़कर 2 सेंटीमीटर से ज्यादा हो जाता है।
यह अब थोड़ा ज्यादा सक्रिय हो चुका होता है, हालांकि अभी भी मुख्य रूप से उसी क्षेत्र तक सीमित रहता है।
इस स्तर पर मरीज को कभी-कभी गांठ या सूजन का अहसास होने लगता है।
कुछ मामलों में दर्द, थकान या असामान्य बदलाव महसूस हो सकते हैं।
इस अवस्था में इलाज संभव है, लेकिन चुनौती पहले चरण से ज्यादा होती है। डॉक्टर अक्सर सर्जरी, रेडिएशन या दवाइयों का सहारा लेते हैं।

कैंसर का स्टेज-3
जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, कैंसर अपनी मूल जगह से निकलकर आसपास की लसीकाग्रंथियों (lymph nodes) तक पहुंच जाता है। यह तीसरा चरण कहलाता है।

अब कैंसर सिर्फ एक गांठ तक सीमित नहीं रहता बल्कि शरीर के दूसरे हिस्सों पर भी असर डालने लगता है।
इस स्तर पर मरीज को गांठ का आकार बड़ा महसूस हो सकता है, साथ ही शरीर में असामान्य बदलाव ज्यादा साफ दिखने लगते हैं।
यह अवस्था गंभीर मानी जाती है, और इसका इलाज लंबा और कठिन हो सकता है।
अगर समय रहते इलाज शुरू न किया जाए तो कैंसर तेजी से चौथे चरण में प्रवेश कर सकता है।

कैंसर का स्टेज-4
कैंसर का चौथा चरण सबसे घातक होता है।
इस अवस्था में कैंसर अपने शुरुआती स्थान से निकलकर शरीर के अन्य महत्वपूर्ण अंगों तक फैल जाता है, जैसे- फेफड़े, लिवर, हड्डियां या दिमाग।
जब बीमारी इस स्तर तक पहुंचती है, तो इसे नियंत्रित करना बेहद कठिन हो जाता है।
उपचार का मुख्य उद्देश्य मरीज की तकलीफ कम करना और जीवन को यथासंभव लंबा बनाए रखना होता है।
चौथे चरण को अक्सर “Advanced Cancer” कहा जाता है और यह सबसे चुनौतीपूर्ण स्थिति होती है।

क्यों जरूरी है समय पर पहचान?
कैंसर की सबसे बड़ी सच्चाई यही है कि अगर इसे शुरुआत में पकड़ लिया जाए, तो मरीज के जीवन बचने की संभावना बहुत ज्यादा रहती है, लेकिन देर होने पर इलाज कठिन और महंगा दोनों हो जाता है। यही कारण है कि:

रेगुलर चेकअप कराना चाहिए।
किसी भी गांठ, असामान्य सूजन, लंबे समय तक खांसी या थकान को हल्के में नहीं लेना चाहिए।
परिवार में किसी को कैंसर रहा हो तो और भी सतर्क रहना चाहिए।

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