इस शुभ समय में करें कलश स्थापना, जानें माता रानी का प्रिय भोग और पूजन नियम

चैत्र नवरात्र हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह महापर्व दुर्गा माता के नौ रूपों को समर्पित है। कहा जाता है कि इस दौरान माता रानी की पूजा करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इसके साथ ही परिवार में खुशहाली बनी रहती है। पंचांग के अनुसार, इस साल चैत्र नवरात्र 30 मार्च से शुरू हो रहे हैं, जब यह पर्व (Chaitra Navratri 2025) इतना करीब है, तो आइए इसकी संपूर्ण जानकारी यहां पर जानते हैं, जो इस प्रकार है।

माता रानी के प्रिय भोग

  • ऋतु फल
  • बताशे
  • खीर
  • हलवा
  • पूरी-चना

देवी पूजा मंत्र

  • “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।।”
  • “सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुते।।”

कलश स्थापना मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 29 मार्च, 2025 को दोपहर 04 बजकर 27 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 30 मार्च को दोपहर 12 बजकर 49 मिनट पर होगा। उदया तिथि को देखते हुए चैत्र नवरात्र की शुरुआत 30 मार्च से होगी।

इसके साथ ही पहला कलश स्थापना मुहूर्त सुबह 06 बजकर 13 मिनट से सुबह 10 बजकर 22 मिनट तक रहेगा।

वहीं, दूसरा कलश स्थापना का समय अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 01 मिनट से 12 बजकर 50 मिनट तक रहेगा। इस समय आप अपनी पूजा-पाठ और घट स्थापना कर सकते हैं।

पूजा विधि

  • सबसे पहले पूजा घर को साफ करें और एक वेदी पर लाल कपड़ा बिछाएं।
  • मिट्टी के बर्तन में जौ बोएं।
  • एक कलश में गंगाजल भरकर उसमें सुपारी, दूर्वा घास, अक्षत और सिक्के डालें।
  • कलश के मुख पर आम के पत्ते रखें और उस पर नारियल रखें।
  • कलश को जौ के बर्तन के ऊपर रखें।
  • देवी दुर्गा का आह्वान करें और नौ दिनों तक उनकी विधिपूर्वक पूजा करें।
  • इस दौरान भक्त नौ दिनों तक उपवास रखें।
  • देवी दुर्गा की प्रतिदिन सुबह और शाम आरती करें।
  • कन्या पूजन करें और उन्हें भोजन कराएं।
  • इस दौरान सात्विक भोजन करें और तामसिक भोजन से बचें।
  • घर में स्वच्छता बनाए रखें और किसी से विवाद न करें।
  • इस दौरान तामसिक चीजों से दूर रहें।
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