पूर्वी बिहार की लाइफलाइन पर मंडरा रहा खतरा, पुल के एक्सपेंशन ज्वाइंट की बढ़ रही दूरी

पूर्वी बिहार की लाइफलाइन विक्रमशिला सेतु के एक्सपेंशन ज्वाइंट का गैप तेजी से बढ़ता जा रहा है। बियरिंग भी खराब हो गया है। 75 दिन पहले तक जहां चार से पांच इंच का गैप था, वह अब बढ़कर छह से सात इंच तक पहुंच गया है। पुल के अस्तित्व पर खतरे की आशंका के मद्देनजर एनएच के मुख्य अभियंता ने तीन माह पूर्व सेतु की जांच करवा रिपोर्ट करने का आग्रह किया था। तीन बार रिमाइंडर भी भेजा गया। बावजूद इसके पुल निर्माण निगम के अधिकारी कान में तेल डालकर सोए हुए हैं।

व्यवस्था को ठीक कर पुल को बचाने की दिशा में ठोस कदम उठाने के बजाय अभी भी जांच रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। एनएच के कार्यपालक अभियंता ने कहा कि जांच रिपोर्ट आने के बाद ही सेतु का मरम्मत कार्य शुरू हो पाएगा। जल्द इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो परेशानी बढ़ सकती है।

15 दिन पहले भी भेजा गया है रिमाइंडर

15 दिन पहले तीसरी बार रिमाइंडर भेजा गया है। इसके बाद भी विभाग के विशेषज्ञों की टीम ने जांच करने नहीं पहुंची है। इससे यह बात तो तय है कि पुल निर्माण निगम के अधिकारियों को सेतु को लेकर कोई टेंशन नहीं है।

वाहनों के गुजरने से होती है तेज आवाज

ओवरलोड वाहनों के दबाव से सेतु के पोल संख्या 89, 113, 125, 141, 148, 128 सहित 13 से अधिक जगहों पर एक्सपेंशन ज्वाइंट का गैप ज्यादा बढ़ गया है। इसकी वजह से पुल के ऊपर से नीचे का हिस्सा साफ-साफ दिखाई देने लगा है। पुल की बियरिंग खराब होना भी गैप बढ़ने की एक वजह बताया जा रहा है। इसके कारण वाहनों के ज्वाइंट से गुजरने से धड़ाम-धड़ाम की आवाज होती है। उछाल महसूस होता है। भारी वाहनों के चलने पर पुल पर ज्यादा कंपन महसूस होता है। जरूरत से ज्यादा कंपन होना पुल के लिए अच्छा संकेत नहीं है। एक्सपेंशन ज्वाइंट के बढ़ते गैप की वजह से रेलिंग के बीच का भी गैप बढ़ गया है।

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