मुंगेर चंडी स्थान में भरा गंगा का पानी, अगले आदेश तक पूजा-पाठ बंद
बिहार के कई इलाकों में भारी बारिश से बाढ़ जैसे हालात हो गए हैं। कई नदियां उफान पर हैं। जिसके चलते 52 शक्तिपीठों में एक मुंगेर चंडी स्थान भी बाढ़ की चपेट में आ गया है। मंदिर परिसर में गंगा का पानी चारों ओर भर गया है। जिसके चलते शुक्रवार से श्रद्धालुओं के लिए अगले आदेश तक पूजा-पाठ बंद करा दी गई है। और मंदिर परिसर को चारों ओर से बंद कर दिया गया है।
देश के 52 शक्तिपीठों में मुंगेर का चंडी स्थान भी शामिल है। खासतौर से नवरात्र में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। कहा जाता है कि यहां देवी सती का नेत्र गिरा था। इसके बाद यहां मंदिर की स्थापना हुई थी। जिसके चलते शक्तिपीठ में मां की बाईं आंख की पूजा की जाती है। मान्यता है कि भक्त यहां से काजल लेकर जाते हैं। जो नेत्ररोगियों के विकारों को दूर करता है।
नवरात्र के दौरान सुबह 3 बजे से ही मां की आराधना शुरू हो जाती है। और शाम को श्रृंगार पूजन होता है। कहा जाता है कि अंग प्रदेश के राजा कर्ण हर दिन सवा मन सोना दान करते थे। मुंगेर जिले से ही नहीं बल्कि बिहार और देशभर से यहां श्रद्धालु आते हैं। मां चंडिका देवी के भक्त विदेशों में भी हैं। दुर्गा पूजा के अवसर पर वो भी यहां दर्शन के लिए आते हैं।
आपको बता दें बिहार में गंगा, घाघरा (सरयू), गंडक, पुनपुन समेत करीब आधा दर्जन नदियों में उफान की वजह से राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) समेत कई मुख्य सड़कों पर पानी चढ़ गया है। कई स्थानों पर रेल लाइन पर बाढ़ का खतरा है। सारण, भोजपुर, बक्सर, वैशाली, मुंगेर और भागलपुर समेत कई जिलों में आवागमन पर असर पड़ा है।
मुंगेर में गुरुवार को गंगा नदी डेंजर लाइन को पार कर गई। केन्द्रीय जल आयोग के अनुसार दो तीन दिनों तक जलस्तर में और वृद्धि होने की आशंका बनी हुई है। गुरुवार को गंगा नदी का जलस्तर प्रति घंटे दो सेंटीमीटर की वृद्धि हो रही है। जलस्तर में भारी वृद्धि के कारण जिले के पांच प्रखंडों की कई पंचायतों में फिर बाढ़ का पानी फैलने के कारण प्रभावित क्षेत्र के लोगों की परेशानियां काफी बढ़ गई है। जानमाल की सुरक्षा को लेकर ऊंचे स्थानों की ओर लोग पलायन कर रहे हैं। यदि यही स्थित रही तो बाढ़ विकराल रूप ले सकता है।
पिछले दो दिनों से गंगा नदी के जलस्तर में भारी वृद्धि के कारण जाफरनगर, कुतलूपुर, टीकारामपुर, आदर्शग्राम टीकारामपुर, मनियारचक सहित बरियारपुर प्रखंड की कई पंचायतों में प्रभावित अपने बच्चों के साथ सूखा भोजन जैसे चूड़ा, मूढ़ी फांककर समय बिताने को मजबूर हैं। अब तक जिला प्रशासन की ओर से प्रभावित लोगों की भोजन की व्यवस्था नहीं की गई है। प्रशासन का कहना है कि सारी व्यवस्था कर ली गई है। आश्रय स्थल पर पहुंचने वालों को पका हुआ भोजन के साथ ही शुद्ध पानी, चिकित्सा सुविधा सहित पशुओं के सूखा चारा की व्यवस्था की गई है।