SEBI चीफ को माधबी पुरी बुच समन जारी कर सकती है PAC, इन चीजों को लेकर होंगी पूछताछ

संसद की लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee) की ओर से सेबी (SEBI) की चीफ माधबी पुरी बुच को समन जारी कर पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है। ऐसा सेबी के कामकाज की समीक्षा के लिए किया जा सकता है। वहीं इसे लेकर विवाद की भी संभावना है क्योंकि समिति के कुछ सांसद ऐसे एकतरफा फैसले के खिलाफ हैं। कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल की अध्यक्षता वाली समिति ने अगले 5 सालों के लिए 161 विषय तय किए हैं, जिन पर चर्चा की जानी है। इनमें 160वें नंबर पर संसद के ऐक्ट से बनीं नियामक संस्थाओं के कामकाज की समीक्षा को शामिल किया गया है। इसी के तहत सेबी चीफ माधबी पुरी बुच को समन जारी हो सकता है।

इस संबंध में भाजपा नेता और पीएसी के मेंबर निशिकांत दुबे ने पत्रकारों से कहा, ‘पीएसी चेयरमैन के पास पूरी अथॉरिटी है कि वह कमेटी की मीटिंग बुला सकते हैं। लेकिन पीएसी का प्रचलन आजादी से भी पहले का है और उसके अलग-अलग नियम हैं। इनमें से ही एक नियम यह है कि सभी सदस्यों के पास वीटो पावर होती है।’ उन्होंने कहा कि किसी भी नियामक संस्थान की समीक्षा तभी की जा सकती है, जब कंट्रोलर ऐंड ऑडिटर जनरल यानी कैग की ओर से उसके बारे में कोई रिपोर्ट आई हो। उस रिपोर्ट के आधार पर ही समीक्षा के लिए उनके अधिकारियों को बुलाया जा सकता है।

यह खबरें लगातार चल रही हैं कि पीएसी की ओर से सेबी चीफ को समीक्षा के लिए बुलाया जा सकता है। ऐसा तब है, जब माधबी पुरी बुच और उनके पति हिंडनबर्ग की एक रिपोर्ट को लेकर निशाने पर हैं। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि माधबी और उनके पति की कई ऐसी कंपनियों में भी हिस्सेदारी है, जिनका ताल्लुक अडानी की ऑफशोर संस्थाओं से है। कपल ने इन आरोपों को खारिज किया था और कहा था कि हमारे सारे लेनदेन एकदम पाक साफ हैं और उनमें कोई खामी नहीं है। इस मामले में कांग्रेस लगातार दोहरा रही है कि जेपीसी के तहत जांच होनी चाहिए।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पिछले दिनों कहा था कि सेबी की साख के साथ समझौता किया गया है। उन्होंने कहा कि जिस सेबी के पास जिम्मेदारी है कि वह छोटे निवेशकों की पूंजी की सुरक्षा करे, उसकी चेयरपर्सन पर ही यदि आरोप हैं तो यह गंभीर मसला है। यह भरोसे को तोड़ने वाली बात है। उन्होंने कहा कि यही वजह है कि पीएम नरेंद्र मोदी जेपीसी की जांच नहीं चाहते क्योंकि कुछ खुलासा हो सकता है। वहीं माधबी पुरी बुच का कहना है कि हिंडनबर्ग के आरोप गलत हैं क्योंकि जब के इन्वेस्टमेंट की बात हो रही है, तब वह और उनके पति सामान्य नागरिक थे। उनका सेबी से उस दौर में लेना-देने ही नहीं था।

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