उत्तराखंड: वार्षिक बजट का आकार बढ़ रहा, लेकिन खर्च को तरस रही बड़ी राशि
आमजन को लुभाने के लिए विभिन्न मदों, योजनाओं के लिए बजट में अच्छी-खासी धनराशि रखी तो जा रही है, लेकिन इसे खर्च करने में विभागों के हाथ-पांव फूल रहे हैं। परिणामस्वरूप पहले वार्षिक मूल बजट और फिर अनुपूरक अनुदान के रूप में उसके आकार को विस्तार देने का लाभ धरातल पर अपेक्षा के अनुरूप प्रभाव नहीं छोड़ पा रहा है।
कैग ने अपनी रिपोर्ट में अनुपूरक बजट को अत्यधिक और अनावश्यक बताया है। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2022-23 में कुल बजट राशि 71011.92 करोड़ में से 10419.02 करोड़ खर्च नहीं किए जा सके यानी 14.67 प्रतिशत राशि बचत के रूप में रह गई। लोक निर्माण समेत 20 महत्वपूर्ण मदों में अनुपूरक के रूप में अतिरिक्त धनराशि दी गई, लेकिन अनुपूरक से कई गुना धनराशि खर्च को तरस गई।
अनुपूरक बजट पर भी उठ रहे सवाल
प्रदेश में हर वित्तीय वर्ष में बजट का आकार बढ़ तो रहा है, लेकिन बजट खर्च करने की विभागों की क्षमता में वृद्धि नहीं हो पा रही है। ऐसे में अनुपूरक बजट पर भी सवाल उठ रहे हैं। कुल बजट प्रविधान और खर्च में बड़ा अंतर समस्या बन चुका है।
वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए प्रदेश सरकार ने बजट आकार 89230.07 करोड़ रखा। अब 5013 करोड़ के अनुपूरक बजट पर विधानसभा की मुहर लग चुकी है। इसके साथ ही बजट आकार 94 हजार करोड़ को पार कर गया है। ऐसे में सरकार के सामने बजट आकार और खर्च में संतुलन साधने की चुनौती बढ़ गई है।
5904 करोड़ नहीं हुए खर्च
रिपोर्ट में कहा गया कि 10 करोड़ या इससे अधिक के अनुपूरक बजट का प्रविधान अनावश्यक सिद्ध हुआ है। लोक निर्माण मद में मूल बजट में 993.06 करोड़ और बाद में अनुपूरक में 56.37 करोड़ की राशि रखी गई। अब वास्तविक खर्च देखिए, मात्र 902.35 करोड़ रुपये विभाग खर्च कर पाया।
147.08 करोड़ यानी अनुपूरक से कहीं अधिक धनराशि बगैर खर्च रह गई। ग्रामीण विकास, कृषि, कल्याण योजनाएं, परिवहन, उद्योग, स्वास्थ्य, पुलिस व जेल, शिक्षा समेत ऐसी कुल 20 मदों में खर्च को शेष रह गई धनराशि 5904.33 करोड़ है। मूल बजट में 20 मदों के लिए 40164.75 करोड़ और अनुपूरक में 2062.13 करोड़ की राशि दी गई। कुल खर्च 36,322.55 करोड़ ही हो सका।
परियोजनाओं के लिए अनुपूरक राशि का उपयोग नहीं
इसी प्रकार की स्थिति न्यायिक कार्यों के लिए ढांचागत सुविधाओं के विकास, तकनीकी सहायता और क्षमता विकास, मेडिकल कालेज समेत 10 से अधिक परियोजनाओं में भी देखने को मिली है। इन योजनाओं के लिए मूल बजट में 2353.73 करोड़ रुपये रखे गए।
अनुपूरक में इनके लिए 623.25 करोड़ रुपये दिए गए। खर्च की हालत यह है कि कुल 2978.07 करोड़ में 1983.09 करोड़ खर्च हो पाए। 994.99 करोड़ खर्च नहीं हुए। यह राशि अनुपूरक बजट से बहुत अधिक है।
उधर, कैग की रिपोर्ट पर सरकार की ओर से जो उत्तर दिया गया है, उसमें कहा गया कि कैग की रिपोर्ट में इंगित बिंदुओं के आधार पर सुधार की प्रक्रिया निरंतर जारी है। इस संबंध में आवश्यक कार्यवाही गतिमान होने की जानकारी दी गई।