गिफ्ट के रूप में शेयर ट्रांसफर करने पर भी लगता है कैपिटल गेन टैक्स, जानिए नियम…

कुछ दिनों पहले दिग्गज आईटी फर्म इन्फोसिस के फाउंडर नारायण मूर्ति ने अपने चार महीने के पोते एकाग्र रोहन मूर्ति को अरबपति बना दिया। उन्होंने एकाग्र को गिफ्ट के तौर पर इन्फोसिस के शेयर दिए थे, जिनकी वैल्यू तकरीबन 240 करोड़ रुपये थे। बाद में एकाग्र को डिविडेंड के तौर पर भी 4.2 करोड़ रुपये मिले।

ऐसे में एक सवाल यह उठता है कि नारायण मूर्ति ने अपने पोते को जो गिफ्ट के तौर पर शेयर ट्रांसफर किए, क्या उस पर उन्हें कैपिटल गेन टैक्स (Capital Gains Tax) देना होगा। यह सवाल इसलिए भी अहम हो जाता है, क्योंकि नारायण मूर्ति की तरह बहुत से लोग अपने करीबियों को शेयर ट्रांसफर करते हैं।

इस सवाल का जवाब बॉम्बे हाई कोर्ट ने दिया है। उसने अपने एक अहम फैसले में कहा कि अगर शेयरों को उपहार के तौर पर ट्रांसफर किया जाता है, तो उनपर कैपिटल गेन टैक्स यानी पूंजीगत लाभ कर नहीं लगेगा। हाई कोर्ट ने यह फैसला मुंबई के जय ट्रस्ट बनाम केंद्र सरकार से जुड़े मामले में दिया है।

क्या कहा बॉम्बे हाई कोर्ट ने?

अदालत ने माना कि उपहार के बदले कोई धनराशि नहीं ली जाती। यह बिना शर्त वाला लेनदेन होता है। लिहाजा, इसे कैपिटल गेन टैक्स के दायरे में नहीं माना जा सकता। अदालत ने टैक्स अधिकारियों के उस आरोप को भी खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि जय ट्रस्ट ने गिफ्ट के तौर पर शेयर ट्रांसफर करके टैक्स से बचने की कोशिश की थी।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मुनाफे या लाभ को तभी मापा जा सकता है, जब किसी चीज के बदले कोई रकम ली जाए। वहीं, गिफ्ट कोई शख्स अपनी मर्जी से देता है और उसके बदले कोई पैसा नहीं लेता। ऐसे में उस पर लाभ का मूल्यांकन करना सही नहीं होगा।

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, जय ट्रस्ट ने सरकारी लिस्टेड कंपनियों- यूनाइटेड फॉस्फोरस (UPL) और यूनिफॉस एंटरप्राइजेज लिमिटेड (UEL) के शेयरों को नेरका केमिकल्स प्राइवेट लिमिटेड (NCPL) में ट्रांसफर किया था। यह ट्रांसफर गिफ्ट के तौर पर हुआ। इसके बदले ट्रस्ट ने कोई रकम नहीं ली।

जय ट्रस्ट ने इस पर किसी लाभ की जानकारी नहीं दी और ट्रस्ट होने के नाते आमदनी पर शून्य रिटर्न दाखिल किया। इसे स्वीकार करते हुए उसकी प्रक्रिया आगे बढ़ाई गई। फिर जय ट्रस्ट को टैक्स विभाग का एक नोटिस मिला, जिसमें मूल्यांकन की प्रक्रिया शुरू होने की बात कही गई।

जय ट्रस्ट ने मूल्यांकन की प्रक्रिया दोबारा शुरू होने पर एतराज जताया, जिसे अधिकारियों ने खारिज कर दिया। फिर ट्रस्ट इस मामले को लेकर अदालत पहुंचा, जहां उसके हक में फैसला आया। अदालत ने कहा कि अगर पूंजीगत संपत्ति का ट्रांसफर होता है, उस ट्रांसफर से मुनाफा/लाभ होता है, तभी कैपिटल गेन टैक्स लगाया जा सकता है।

क्या होता है कैपिटल गेन टैक्स?

कैपिटल गेन टैक्स संपत्ति के हिसाब से अलग-अलग दर पर लगता है। अब जैसे कि शेयरों की बात करें, तो अगर आप किसी स्टॉक के एक साल के भीतर बेचते हैं, तो मुनाफे पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है। यह आपके इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से लगाया जाता है।

अगर आपने स्टॉक को 1 साल बाद बेचते हैं, तो इस पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा। इसमें 1 लाख रुपये के मुनाफे पर छूट रहेगी। इससे ज्यादा लाभ होने पर 10 फीसदी की दर से टैक्स देना होगा। गोल्ड इन्वेस्टमेंट के मामले में भी यही नियम है।

वहीं, प्रॉपर्टी की बात करें, तो बेचने पर होने वाले मुनाफे पर इंडेक्‍सेशन का लाभ मिलता है। इसमें महंगाई दर को हटाकर संपत्ति से हुए मुनाफे पर कैपिटल गेन टैक्‍स लगता है। इसका मतलब है कि आपके मुनाफे पर मुद्रास्फीति का जो असर हुआ, सरकार उस कुछ रियायत देती है।

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