MP: इंदौर फैमिली कोर्ट ने पत्नी के मांग में सिंदूर नहीं भरने को बताया क्रूरता, जानिए पूरा मामला

हिंदू धर्म में एक विवाहित स्त्री अपने पति की लंबी उम्र के लिए मांग में सिंदूर भरती है। इसका धार्मिक महत्व भी है। हालांकि आज की टेक-सेवी जनरेशन पुराने रति-रिवाजों को कम ही मानती है। इंदौर में ऐसा ही एक मामला फैमिली कोर्ट के पास आया। कोर्ट में पत्नी का मांग में सिंदूर नहीं भरने को पति के लिए एक तरह की क्रूरता बताया। साथ ही महिला को अपने पति के पास वापस जाने का आदेश दिया।

पति के पास लौटने का आदेश

फैमिली कोर्ट ने ने पति के पक्ष में फैसला सुनाते हुए बिना किसी कारण पति से अलग रह रही पत्नी को वापस लौटने का आदेश दिया। कोर्ट ने 11 पेज में अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि पति ने पत्नी को नहीं छोड़ा है बल्कि वह खुद अपनी मर्जी से अलग रह रही है और उसने मांग में सिंदूर लगाना बंद कर दिया है। पति ने पत्नी को वापस बुलाने के लिए कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। पति ने याचिका में कहा था कि पत्नी पिछले पांच साल से बिना किसी कारण अलग रह रही है।

अलग रहने का नहीं दिया कारण

कोर्ट में सुनवाई के दौरान महिला अलग रहने का कोई कारम नहीं दे पाई। दोनों पिछले पांच साल से अलग रह रहे हैं। पति ने हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 9 के तहत दांपत्य संबंधों को सुधारने के लिए याचिका दायर की थी। महिला ने जज के पूछने पर कोर्ट को बताया कि वह अलग रहने की वजह से मांग नहीं भरती है। कोर्ट में जब महिला बयान देने आई उस समय भी उसने सिंदूर नहीं लगाया था। पत्नी ने पति पर दहेज मांगने, नशा करने और परेशान करने के आरोप लगाए थे। सारी दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने महिला को पति के पास लौटने का आदेश दिया। मामले पर फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने गुवाहाटी हाईकोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए माना की पति ने पत्नी का त्याग नहीं किया है। दोनों के बीच तलाक नहीं हुआ है।

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