उत्तराखंड में कई इलाकों में तेज बारिश की आशंका, जानें IMD का अपडेट…

दक्षिण पश्चिम मानसून अवधि की बीतने में तीन सप्ताह से कम समय बचा है। उत्तराखंड में अभी तक सामान्य से अधिक वर्षा देखने को मिली है। 22 अगस्त के बाद सुस्त पड़े मानसून को बंगाल की खाड़ी में उठे कम दबाव के क्षेत्र ने फिर गति देने का काम किया है। नया सिस्टम फिर बन रहा है। कम दबाव का असर अगले तीन से पांच दिन बना रह सकता है।

ऐसे में उम्मीद जताई जा रही कि विदाई से पहले मानसून एक बार फिर तर कर सकता है। इस अवधि में अच्छी वर्षा होती है तो सामान्य वर्षा से कुछ पीछे चल रहे नैनीताल, चंपावत, पिथौरागढ़, रुद्रप्रयाग व पौड़ी जिलों का आंकड़ा बेहतर हो सकता है। मानसून अवधि एक जून से 30 सितंबर तक रहती है। हालांकि मानसूनी सिस्टम की सक्रियता से मानसून के आगमन व रवानगी का समय कुछ बहुत आगे-पीछे रहता है। मानसून अवधि में 18 दिन का समय रहा है। बंगाल की उत्तर व उत्तर-पश्चिमी खाड़ी के ऊपर एक निम्न दबाव का क्षेत्र बनने वाला है।

फिर से बन रही है वर्षा की संभावना

भारत मौसम विज्ञान विभाग ने मध्य व पूर्वी हिस्सों में अच्छी वर्षा की संभावना जताई है। वर्षा का यह लगातार दूसरा दौर होगा। उत्तराखंड पर इसका मध्यम प्रभाव दिखाई दे सकता है। नौ व 10 सितंबर को बना पिछले निम्न दबाव ने कमजोर मानसून को पुनर्जीवित किया। जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर के मौसम विज्ञानी डा. आरके सिंह का कहना है कि 13 सितंबर से 18 सितंबर के बीच उत्तराखंड में वर्षा का दौर देखने को मिल सकता है। मौसम विभाग ने 13 से 16 सितंबर के बीच प्रदेश के अधिकांश स्थानों पर हल्की से मध्यम वर्षा होने व कहीं कहीं पर तीव्र बौछार पड़ने की संभावना जताई है।

पौड़ी जिले में सबसे कम वर्षा

मानसून अवधि में पौड़ी जिले में सबसे कम व बागेश्वर में सर्वाधिक वर्षा हुई है। पौड़ी में सामान्य से 23 प्रतिशत कम, चंपावत में 20 प्रतिशत कम वर्षा हुई है। इससे पहले चंपावत सबसे कम वर्षा वाले जिलों में शीर्ष पर था। नौ व 10 सितंबर को हुई वर्षा से चंपावत का आंकड़ा सुधरा है।

नैनीताल, रुद्रप्रयाग में 19 प्रतिशत व पिथौरागढ़ में 18 प्रतिशत, उत्तरकाशी में 13 प्रतिशत कम वर्षा हुई है। दूसरी ओर बागेश्वर में सामान्य से 170 प्रतिशत व चमोली में 56 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई है। पूरे प्रदेश में 1081.7 मिमी सामान्य वर्षा के सापेक्ष 1138.5 मिमी वर्षा हुई है। जो सामान्य से पांच प्रतिशत अधिक है।

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