लैपटॉप इम्पोर्ट बैन के चलते क्या बढ़ जाएगी Apple के Macbook की कीमत, जानिए पूरी डिटेल्स

भारत मे अपना दबदबा बनाने वाली कंपनी एपल अपने अलग-अलग डिवाइस को अपने यूजर्स के लिए पेश किया है। इसमें आईफोन, आईपैड और मैक जैसे डिवाइस शामिल है। ये डिवाइस ही इसी अन्य ब्रांडस से अलग बनाते हैं।

जैसा कि हम जानते हैं कि सरकार ने हाल ही में लैपटॉप इम्पोर्ट बैन को पेश किया है, जिसे 31 अगस्त से लागू किया जाएगा। एपल उन ब्रांड में से एक है, जिसने अभी तक लैपटॉप मैन्यूकैक्चरिंग के लिए भारत की PLI योजना में रुचि नहीं दिखाई है।

लैपटॉप इम्पोर्ट बैन

  • भारत लैपटॉप के आयात पर प्रतिबंध लगा रहा है और शुरुआत में इसे तत्काल प्रभाव से लागू करने का विचार था। लेकिन फिर यह देखते हुए कि इससे एपल, डेल, सैमसंग, आसुस, लेनोवो और अन्य कंपनियों द्वारा बेचे जाने वाले लैपटॉप की कीमतों में कैसे उछाल आएगा। सरकार ने अपने फैसले में थोड़ा फेरबदल किया है।
  • इसके बाद से भारत सरकार ने अनुपालन की तारीख को बढ़ाकर 31 अक्टूबर कर दिया और सरकार ने लैपटॉप कंपनियों को प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) की मदद से भारत में लैपटॉप बनाने के तरीके बारे मे पता लगाने के लिए कहा।

31 अगस्त थी आखिरी तारीख

  • PLI के लिए आवेदन करने की आखिरी तारीख 31 अगस्त थी। सैमसंग और एपल को छोड़कर सभी प्रमुख लैपटॉप कंपनियों ने इसके लिए आवेदन किया है।
  • ये हमारे लिए परेशानी की बात है, क्योंकि यह संभव है कि 31 अक्टूबर के बाद, जब लैपटॉप पर इम्पोर्ट बैन लागू हो जाएगा, तो एपल मैकबुक की कीमत तेजी से बढ़ सकती है।
  • ऐसा इसलिए है क्योंकि वर्तमान में Apple द्वारा भारत में बेचे जाने वाले सभी MacBook या तो चीन या वियतनाम से आयात किए जाते हैं। यह iPhone के मामले से अलग है, जिसे Apple अब भारत में भी बना रहा है।

क्या है सैमसंग और एपल का प्लान

  • फिलहाल एपल और सैमसंग ने सरकार की पीएलआई योजना के लिए आवेदन क्यों नहीं किया है हम इसके बारे में कुछ नहीं जानते है।
  • मगर यह हो सकता है कि ये कंपनी 31 अक्टूबर के बाद भी लैपटॉप का इम्पोर्ट जारी रखना चाहेंगे। यह तभी संभव होगा जब वे विशेष परमिट पाने के लिए आवेदन करेंगे।
  • ऐसे हो सकता है कि ये कंपनियां PLI योजना का हिस्सा बने बिना भारत में लैपटॉप का निर्माण करेंगे।
  • ऐसे में संभावना है कि मैकबुक जैसे लैपटॉप की कीमतें बढ़ेंगी, खासकर अगर एपल को लैपटॉप आयात के लिए परमिट मिलने में देरी हो या अगर भारत के लिए इसकी आपूर्ति सीरीज में व्यवधान आए।
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