यूपी: वाराणसी में मंडराया बाढ़ का खतरा, नाव संचालन पर लगी रोक

दिल्ली से लेकर पश्चिमी यूपी के शहरों के बाद अब वाराणसी में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। वाराणसी में गंगा प्रति घंटा चार सेमी प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रही हैं। शुक्रवार दोपहर 12 बजे तक जलस्तर 64.48  मीटर रिकॉर्ड हुआ। हालांकि राहत की खबर यह है कि अपस्ट्रीम में प्रयागराज में बढ़ाव का लेवल पांच से घटकर प्रति घंटा एक सेमी हो गया है। वाराणसी में फिलहाल गंगा का जलस्तर चेतावनी बिंदु से करीब छह मीटर दूर है। यहां चेतवानी बिंदु 70.262 मीटर और खतरे का निशान 71.262 मीटर पर है। यहां अब तक की सबसे भीषण बाढ़ 1978 में आई थी। तब यहां गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से करीब ढाई मीटर ऊपर 73.901 मीटर तक पहुंच गया था। सुरक्षा को देखते हुए नाव संचालन पर रोक लगा दी गई है। 

 गंगा में बढ़ाव से श्मशान घाटों पर दिक्कतें बढ़ने लगी हैं। हरिश्चंद्र घाट पर गुरुवार को लोहे के चैंबरों से आगे पानी पहुंच गया। अब यहां संस्कार के लिए जगह बहुत सीमित हो गई है। जिसके कारण कई लोगों को सीढ़ियों पर शवदाह करना पड़ा। लोगों का कहना है कि यदि बढ़ाव की यही रफ्तार रही तो सप्ताहभर में गलियों में शवदाह की नौबत आ जायेगी। सीएनजी शवदाह गृह भी बंद करना पड़ सकता है।

इससे पहले बुधवार को जहां दो सेमी का बढ़ाव हो रहा था गुरुवार को यह गति तीन सेमी प्रतिघंटे हो गया। इससे गुरुवार की रात 8 बजे जलस्तर 63.84 मीटर पर पहुंच गया। इसके बाद बढ़ाव की गति 4 सेमी प्रति घंटे हो गई। रात 10 बजे जलस्तर 63.92 मीटर रिकार्ड किया गया। इसके कारण कुछ ऊंचे घाट जिनका अब तक संपर्क बना हुआ था वह भी टूट गया।

तटीय क्षेत्र के लोगों में घबराहट भी बढ़ गई है। घाटों पर नित्य होने वाली गंगा आरतियों के स्थान बदल दिये गए हैं। पंडे-पुजारियों की चौकियां सुरक्षित स्थान पर पहुंचाई जाने लगी हैं। वहीं मिर्जापुर और गाजंपुर में बढ़ाव की रफ्तार चार सेमी प्रति घंटा है। बलिया में गंगा स्थिर हैं। 

पहाड़ों पर बारिश से दबाव

पहाड़ों पर हो रही बारिश के कारण मैदानी इलाकों में लगातार दबाव बना हुआ है। बैराज से पानी छोड़ने का भी असर सिंचाई विभाग के बंधी प्रखंड के अनुसार 20 जुलाई को हरिद्वार बैराज से 104051 क्यूसेक, नरौरा से 209501, कानपुर बैराज से 253900 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। इससे फाफामऊ, बनारस, गाजीपुर, बलिया में बढ़ाव की स्थिति है।

इस बार सामने घाट इलाके में खास व्यवस्था

गंगा में बाढ़ का दंश सबसे ज्यादा लंका से सटे सामने घाट इलाके के लोगों को उठाना पड़ता है। यहां इस बार खास व्यवस्था की गई है। बंधी प्रखंड के एक्सईएन राजेश यादव ने बताया कि सामनेघाट, ज्ञानप्रवाह के पास बना ड्रेन बाढ़ में बैकफ्लो करने लगता था। इससे आसपास के बालाजी नगर, मारुती सहित कुल 10 इलाके जलमग्न हो जाते थे। विभाग की तरफ से यहां बाढ़ के पानी को रोकने के लिए फ्लैपर गेट बनवाया गया है। इससे पानी इन क्षेत्रों में नहीं घुस पाएगा।

37 बाढ़ शिविर बनाए गए

मुख्यालय स्थित जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार जिले में कुल 37 बाढ़ राहत शिविर बनाए गए हैं। इनमें सरैया स्थित प्रा.स्कूल, ढेलवरिया में बड़ादेव स्थित रामजानकी मंदिर, नक्खीघाट में चित्रकूट कान्वेंट स्कूल, बड़ीबाजार में माता प्रसाद प्रा. स्कूल, नगवा में कन्या प्रा. स्कूल, रमना में मलहिया स्थित प्रा. स्कूल के अलावा चिरईगांव स्थित रामचंदीपुर, हरिरहरपुर धरौहरा स्थित प्रा. स्कूल, डोमरी सूजाबाद स्थित प्रा. स्कूल, कैथी स्थित प्रा. स्कूल आदि हैं।

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