जानिए क्या होती है सेल्फ-बैलेंसिंग टेक्नोलॉजी, जिस पर Honda और Yamaha कर रही है काम
नई दिल्ली, किसी भी दो पहिया वाहन चलाने वालों के लिए सबसे बड़ा चैलेंज होता है संतुलन यानी आसान बोल चाल वाली भाषा में बोले तो बैलेंस, बाइक को सिर्फ उसकी रफ्तार का ही सहारा होता है। जैसे ही बाइक की स्पीड कम होती है चालक के लिए बाइक संभालना मुश्किल हो जाता है। कई बार तो दुर्घटना भी हो जाती है। कई बार तो ऐसा होता है कि वाहन चालक ठीक तरीके से बाइक चलाता है मगर आगे पीछे की टक्कर के कारण बाइक का संतुलन बिगड़ जाता है और उसके बाद एक्सीडेंट हो जाता है।
लेकिन अब आपको इससे घबराने की जरुरत नहीं है अब समय में बदलाव आ गया है समय के साथ -साथ कई चीजों में बदलाव देखने को मिला है। बदलाव ही संसार का नियम है ऐसा कहा जाता है तो ये हो भी रहा है। आपको बता दें, भारतीय बाजार में अब सेल्फ बेलेंस वाले स्कूटर आने वाले है। सुनकर अच्छा लगा न, अब चलिए आपको बताते हैं इसका इस्तेमाल कैसे होगा और कब आपको इस परेशानी का छुटकारा मिलेगा। आपको बता दें, इस परेशानी को खत्म करने के लिए देश की दो सबसे बड़ी वाहन निर्माता कंपनी होंडा और यमाहा इसपर काफी तेजी से काम कर रही है। चलिए आपको बताते हैं इसके बारे में।
Honda और Yamaha की ‘सेल्फ-बैलेंसिंग’ टेक्नोलॉजी:
जापान की दोपहिया वाहन निर्माता कंपनी होंडा ने अपनी बाइक्स के लिए सेल्फ-बैलेंसिंग तकनीक का पेटेंट कराया है, कंपनी ने हाल के दिनो में ही इस तकनीक को दिखाने के लिए हैवी बाइक गोल्ड विंग को सलेक्ट किया था। आपको बता दें, यह कोई नई तकनीक नहीं है, इससे पहले भी सेल्फ-बैलेंसिंग व्हीकल्स के कॉन्सेप्ट मॉडलों को पेश किया जाता है। लेकिन होंडा अब इस तकनीक का इस्तेमाल करने वाली है। भारतीय बाजार में यमाहा भी इस तकनीक का इस्तेमाल करने वाली है। इंडिया इस तकनीक में अभी पीछे नहीं है, ऑटो एक्सपो में मुंबई बेस्ड स्टार्टअप Liger Mobility ने दुनिया की पहली ऑटो-बैलेंसिंग इलेक्ट्रिक स्कूटर को पेश किया था। ये पूरी तरह से मेड इन इंडिया , स्कूटर है। इसके लिए कंपनी पिछले 6 साल से काम कर रही है।
कैसे काम करती है ये तकनीक
वाहन निर्माता कंपनी ने इस स्कूटर में बैलेंसिंग तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। जो कि बेसिकली आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) बेस्ड तकनीक है। इस तकनीक के पीछे जायरोस्कोपिक प्रिंसिपल ऑफ फिजिक्स (Gyroscopic Theory) का इस्तेमाल किया गया है। जिससे ये स्कूटर स्थिर रहते हुए भी सेंसर की मदद से अपनी जगह पर खड़ी रहती है।