बॉम्बे HC ने बीमा कंपनी को दिया आदेश, जुड़वा बच्चों की मां को इतने लाख का करें भुगतान, जानें पूरा मामला
‘एक नवजात शिशु का मतलब फुल टर्म और प्री टर्म बेबी दोनों होगा।’ बॉम्बे हाई कोर्ट ने बुधवार को एक बीमा कंपनी से ये बात कहीं है। कोर्ट ने बीमा कंपनी को मुंबई की एक महिला को समय से पहले जन्में जुड़वा बच्चों के इलाज के लिए किए गए मेडिकल खर्च का 11 लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है।
न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी को दिया निर्देश
जस्टिस गौतम पटेल और जस्टिस नीला गोखले की खंडपीठ ने न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी को निर्देश दिया कि वह अपनी बीमा पॉलिसियों में क्लॉज की व्याख्या करने का प्रयास करने के लिए महिला को पांच लाख रुपये की अतिरिक्त राशि का भुगतान करे। कोर्ट ने उल्लेख किया कि ‘बीमा कंपनी का दृष्टिकोण अनुचित, अन्यायपूर्ण और एक बीमा पॉलिसी के मौलिक परम सद्भावना नैतिकता के विपरीत था। ये सरासर कैसुइस्ट्री हैं।’
बीमा कंपनी ने किया था महिला के याचिका का विरोध
जानकारी के लिए बता दें कि एक कानूनी व्यवसायी महिला ने वर्ष 2021 में बॉम्बे हाई कोर्ट का रुख किया था। बीमा कंपनी ने उसके दावों को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि पॉलिसी केवल नवजात शिशुओं को कवर करती है जो फुल टर्म पैदा हुए हैं, न कि समय से पहले पैदा हुए बच्चे यानि की प्री टर्म बेबी। महिला ने अपनी याचिका में कहा है कि बीमा कंपनी द्वारा उसके दावों को स्वीकार करने से इंकार करना मनमाना और भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) के दिशानिर्देशों के विपरीत है। बीमा कंपनी ने इस याचिका का विरोध किया था।
‘बीमाधारक के भरोसे के साथ नहीं खेल सकती बीमा कंपनी’
कोर्ट ने सुनवाई में कहा, ‘एक ‘नवजात’ और ‘समय से पहले पैदा हुए बच्चे’ या ‘समय से पहले’ पैदा हुए बच्चे के बीच का अंतर निराधार है। एक नवजात शिशु वह हो सकता है जो ‘पूर्ण अवधि’ या ‘समय से पहले’ पैदा हुआ हो। एक पूर्ण अवधि का बच्चा किसी ‘समय से पहले’ बच्चे की तुलना में अधिक ‘नया’ नहीं हो जाता है।’ बीमा कंपनी का उद्देश्य पॉलिसी की शर्तों के अनुसार, प्रीमियम के रूप में मानव जीवन को खतरों से बचाने के लिए भुगतान करना है। बीमा कंपनी को बीमाधारक द्वारा जताए गए भरोसे के साथ खेलने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
राशि का भुगतान करने का आदेश
पीठ ने इसे ‘न्याय के हित में उचित माना और बीमा कंपनी को मुकदमे की लागत के रूप में महिला को अतिरिक्त पांच लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि सभी राशि का भुगतान चार सप्ताह की अवधि के भीतर करना होगा।
गौरतलब है कि, महिला ने 2007 में न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी से 20 लाख रुपये की दो मेडिक्लेम पॉलिसी ली थीं, जिनका समय-समय पर नवीनीकरण किया जाता था। सितंबर 2018 में, महिला ने सिजेरियन सर्जरी में 30 सप्ताह के गर्भ में जुड़वां बच्चों को जन्म दिया। बच्चे समय से पहले थे और उन्हें जीवन रक्षक उपचार के लिए नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट में भर्ती कराना पड़ा। बच्चों के डिस्चार्ज होने के बाद, याचिकाकर्ता ने बीमा कंपनी को दावा प्रस्तुत किया और उसके द्वारा किए गए खर्च के लिए 11 लाख रुपये का दावा किया। हालांकि, कंपनी ने उसके दावों को खारिज कर दिया था।