बॉम्बे HC ने एडॉप्शन एजेंसी से मिली याचिका के मामले में गृह मंत्रालय को नोटिस किया जारी
बॉम्बे हाई कोर्ट ने पुणे में स्थित एडॉप्शन एजेंसी से मिली याचिका के संबंध में केंद्रीय गृह मंत्रालय को नोटिस भेजा है। याचिका में एजेंसी ने एक साल के अफगानी लड़के को भारतीय पासपोर्ट जारी करने की मांग को लेकर कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को एक नोटिस जारी किया है ताकि उसे गोद लिया जा सके।
एडॉप्शन एजेंसी ने कोर्ट में दाखिल की थी याचिका
जस्टिस गौतम पटेल और जस्टिस नीला गोखले की खंडपीठ ने 14 फरवरी के अपने आदेश में मामले के समाधान के लिए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह या उनके कार्यालय के किसी अधिवक्ता की भी मदद मांगी थी। बॉम्बे हाई कोर्ट की पीठ ‘भारतीय समाज सेवा केंद्र’ गोद लेने वाली एजेंसी द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें गृह मंत्रालय को बच्चे को भारतीय पासपोर्ट जारी करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
अफगानी दंपत्ति एडॉप्शन एजेंसी में छोड़ गए थे बच्चा
कोर्ट में दाखिल याचिका के मुताबिक एटलस नाम के एक शिशु को उसके माता-पिता जो कि एक अफगानी दंपति हैं। उन्होंने उसे 9 सितंबर, 2021 को ‘भारतीय समाज सेवा केंद्र’ गोद लेने वाली एजेंसी में आत्मसमर्पण कर दिया गया था। उस समय एटलस सिर्फ एक दिन का था। हालांकि, अब वह एक साल का हो गया है। संस्थान ने अपनी दलील में कहा कि एटलस का जन्म भारत में हुआ था और इसलिए वह भारतीय पासपोर्ट का हकदार है।
बिना पासपोर्ट के बच्चे को देश से बाहर ले जाने में होगी परेशानी
अफगानी बच्चे को अभी तक गोद लेने के लिए स्वतंत्र/फिट घोषित नहीं किया गया है। साथ ही एटलस के नाम पर नागरिकता दस्तावेज के अभाव में यह प्रक्रिया बाधित हो सकती है। याचिका में कहा गया है कि विदेश से आए दत्तक माता-पिता के लिए बच्चे को देश से बाहर ले जाना असंभव होगा, जब तक कि उसके पास पासपोर्ट जैसा कोई यात्रा दस्तावेज नहीं होगा।
बिना पासपोर्ट के नहीं लिया जा सकता है बच्चे को गोद-एचसी
हाई कोर्ट ने गृह मंत्रालय को जारी किए गए नोटिस में कहा कि एटलस को भले ही गोद लेने के लिए उपयुक्त घोषित किया गया हो लेकिन पासपोर्ट के बिना उसे सफलतापूर्वक अपनाया नहीं जाएगा। अदालत ने कहा कि चूंकि यह मुद्दा पूरी तरह से विवादास्पद नहीं है।
मामले में एक मार्च को होगी अगली सुनवाई
इसलिए इसे गृह मंत्रालय की ओर से भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के कार्यालय के किसी भी अधिवक्ता के सहयोग से हल किया जा सकता है। पीठ ने गृह मंत्रालय को एक नोटिस जारी किया और याचिका की एक प्रति सहायता के लिए सॉलिसिटर जनरल के कार्यालय में भेजने का निर्देश दिया। अदालत ने मामले की आगे की सुनवाई के लिए एक मार्च की तारीख तय की है।