क्या अब ‘बाला साहेब ठाकरे स्मारक’ का नियंत्रण भी ठाकरे परिवार से छीन लेंगे CM शिंदे?
मुंबई: महाराष्ट्र में अब बालासाहेब ठाकरे के स्मारक को लेकर राजनीति चरम पर है. उद्धव गुट की शिवसेना और एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना आमने-सामने हैं. दरअसल, 17 नवंबर को बालासाहेब ठाकरे के 10वीं पुण्यतिथि के अवसर पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, अपने गुट के विधायकों को साथ श्रद्धांजलि देने शिवाजी पार्क स्थित बलसाहेब ठाकरे के स्मारक पर पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि दी और नमन किया. एकनाथ शिंदे के वहां से जाते ही उद्धव ठाकरे की शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने स्मारक पर गोमूत्र छिड़ककर शुद्धिकरण किया और जमकर नारेबाजी की. इसके बाद उद्धव की शिवसेना (यूबीटी) के कार्यकर्ताओं ने श्रद्धांजलि दी. महाराष्ट्र में इस मुद्दे पर अब राजनीति शुरू हो गई है. सत्ता पक्ष के नेता यह मांग कर रहे हैं कि मेयर बंगले में कुछ मीटर दूरी पर बन रहे बालासाहेब ठाकरे के भव्य स्मारक को सरकार अपने कब्जे में ले.
भाजपा के एमलसी प्रसाद लाड ने स्मारक को सरकार से अपने कब्जे में लेने को कहा है. प्रसाद लाड ने कहा कि “स्मारक एक परिवार का नहीं बल्कि पूरे राज्य का है. राज्य सरकार को इसे अपने हाथ में लेना चाहिए. जमीन सरकार की है. इसे बनाने के लिए पैसा सरकार द्वारा दिया जा रहा है. यह किसी परिवार की संपत्ति नहीं बनना चाहिए.” उन्होंने कहा कि मैं मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मांगा कर रहा हूं कि स्मारक की देखभाल करने वाले ट्रस्ट को सरकार के अंडर में लें. ठाकरे परिवार के एक या दो सदस्यों को उस ट्रस्ट में लिया जा सकता है. अभी यह स्मारक, ठाकरे परिवार के ट्रस्ट के अंडर में आता है. बीजेपी MLC की इस इस मांग पर ठाकरे परिवार की तरफ से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.
2023 तक बनकर तैयार हो जाएगा स्मारक
आपको बता दें कि 17 नवंबर 2012 को शिवाजी पार्क में शिवसेना संस्थापक बालासाहेब ठाकरे का अंतिम संस्कार किया गया था. तब यह एक अस्थायी स्मारक विकसित किया गया था. जिसे भव्य स्मारक के रूप में विकसित करने को लेकर सभी पार्टियां एकमत थीं. स्मारक को भव्य स्वरूप देने की योजना फडणवीस के मुख्यमंत्री काल में शुरू हुई, जब राज्य सरकार ने मेयर बंगले में 400 करोड़ रुपये के स्मारक के लिए हरी झंडी दी. 6056 वर्गमीटर में फैले इस परियोजना में बालासाहेब ठाकरे के कामों को प्रदर्शित किया गया है.
बालासाहेब ठाकरे एक कार्टूनिस्ट भी थे. स्मारक में उनके जीवन और कैरियर पर ऑडियो विजुअल क्लिप और फिल्में होंगी. यहां ठाकरे परिवार और शिवसेना के इतिहास पर एक गैलरी भी होगी. स्मारक के 2023 के अंत तक पूरी तरह तैयार होने की उम्मीद है. फडणवीस के नेतृत्व वाली बीजेपी -शिवसेना कार्यकाल के दौरान स्मारक को उद्धव ठाकरे की अध्यक्षता वाले ‘बालासाहेब ठाकरे राष्ट्रीय स्मारक ट्रस्ट’को सौंप दिया गया था. शिवसेना के वरिष्ठ नेता सुभाष देसाई इसके सचिव थे. हालांकि उद्धव के मुख्यमंत्री बनने इसके अध्यक्ष उनके बेटे आदित्य ठाकरे को नियुक्त किया गया.
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मुख्यमंत्री कार्यालय के अधिकारी ने बताया ये प्लान
बालासाहेब ठाकरे के इस भव्य स्मारक के 2023 तक पूरा होने की उम्मीद है. लेकिन इसके रखरखाव की जिम्मेदारी सरकार के अंडर में लेने की मांग उठने लगी हैं. पहले उद्धव और फडणवीस साथ थे तो इसे ठाकरे परिवार के ट्रस्ट को सौंप दिया गया था. अब शिंदे मुख्य मंत्री हैं और शिंदे एवम फडणवीस के सबसे बड़े राजनीतिक दुश्मन उद्धव ठाकरे. मुख्यमंत्री कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि यह एक राजनीतिक निर्णय होने जा रहा है. एक बार निर्णय तय हो जाने के बाद हम कानूनी पहलुओं पर काम करेंगे. एक विकल्प यह है कि सीएम को ट्रस्ट का पदेन अध्यक्ष नियुक्त किया जाए. उनके हाथ में सभी शक्तियां हों और ठाकरे परिवार के एक या दो सदस्यों को ट्रस्ट में रखा जाए.
हालांकि यह आसान नहीं होने वाला. शिंदे और फडणवीस को यह विचार करना होगा कि फैसले के नतीजे क्या होंगे. दोनों पार्टियां इस बात को लेकर आशंकित हैं कि चुनाव के दौरान उद्धव को मराठी मानुस की सहानुभूति मिल सकती है. इसलिए उनके कब्जे से बालासाहेब ठाकरे स्मारक का नियंत्रण लेने से पहले काफी विचार करना होगा. अब देखने वाली बात ये होगी कि सरकार स्मारक को अपने अंडर में लेती है या नहीं.