थमा से लेकर अमावस्या तक किस तिथि के कौन से हैं देवता
भारतीयसंस्कृति में सभी शुभ कार्य मुहूर्त के आधार पर किए जाते हैं। मुहूर्त में सर्वप्रथम तिथि को देखा जाता है। प्रत्येक माह की कृष्ण एवं शुक्ल पक्ष में 15-15 तिथियां निर्धारित की गई हैं।
प्रथमा इस दिन अग्नि देव की उपासना से घर में धन-धान्य, आयु, यश, बल, मेधा आदि की वृद्धि होती है।
द्वितीया इस तिथि के स्वामी ब्रह्मा हैं। इस दिन किसी ब्रह्मचारी ब्राह्मण की पूजा कर उन्हें भोजन, वस्त्र आदि का दान देना चाहिए।
तृतीया तृतीया तिथि के स्वामी गौरी और कुबेर हैं। इनकी पूजा करने से सौभाग्य वृद्धि होती है।
चतुर्थी इस तिथि को श्री गणेश की पूजा से विघ्न दूर होते हैं।
पंचमी इसके नाग देवता स्वामी हैं। इस दिन नाग पूजा से भय तथा कालसर्प योग का शमन होता है।
षष्ठी इस तिथि के स्वामी कार्तिकेय हैं। इनकी पूजा करने से व्यक्ति मेधावी, संपन्न एवं कीर्तिवान होता है। मंगल की दशा हो या कोर्ट केस हो, उसके लिए कार्तिकेय की पूजा लाभप्रद रहती है।
सप्तमी इसके स्वामी सूर्य हैं। स्वास्थ्य एवं आरोग्यता विशेषकर आंखों की समस्या से पीड़ित व्यक्तियों को इनकी पूजा करनी चाहिए।
अष्टमी इस तिथि के स्वामी रुद्र हैं। इस तिथि में शिव की पूजा करने से कष्ट एवं रोग दूर होते हैं।
नवमी इस दिन दुर्गा की पूजा करने से यश की वृद्धि होती है।
दशमी के दिन यमराज की पूजा करने से बाधाएं दूर होती हैं।
एकादशी इस दिन विश्वेदेवा की पूजा से भूमि का लाभ होता है।
द्वादशी इसके स्वामी विष्णु हैं। इनकी पूजा करने से सुखों की प्राप्ति होती है।
त्रयोदशी कामदेव इस तिथि के स्वामी हैं। इनकी पूजा से वैवाहिक सुख मिलता है।
चतुर्दशी प्रत्येक मास की विशेषकर कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिव पूजा, रुद्राभिषेक करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
पूर्णिमा पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को अर्घ्य देना और व्रत रखना सुख में वृद्धि करता है।
अमावस्या इस दिन अपने पितरों की शांति-प्रसन्नता के लिए अन्न-वस्त्र का दान देना एवं श्राद्ध करना लाभप्रद होता है।