पितरों की आत्मा की शांति के लिए इन 6 जगहों पर करें श्राद्ध, पुण्य की होगी प्राप्ति

हिंदू धर्म शास्त्र के अनुसार पितृ पक्ष के दिनों में हमारे पूर्वज धरती पर आकर विचरण करते हैं. पितृ पक्ष में पितरों का तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति प्राप्त होती है. इसके अलावा हमारे पूर्वज हमें आशीर्वाद देते हैं और हमारे जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करते हैं. पितृ पक्ष के इन दिनों में शुभ काम करने की मनाही होती है. ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष के यह दिन केवल पितरों को समर्पित होते हैं. इसलिए इन दिनों में पितरों के लिए श्राद्ध रखा जाता है और उनके पसंद का भोजन बना कर उन्हें अर्पित किया जाता है. हिन्दू धर्म ग्रंथों और कथाओं के अनुसार कुछ ऐसे तीर्थ स्थल है जहां पर अपने पूर्वजों का श्राद्ध और तर्पण करना बहुत महत्व रखता है. जिसके बारे में हमें बता रहे हैं भोपाल के रहने वाले ज्योतिषी एवं पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा.

1. हरिद्वार
भारत के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है हरिद्वार. गंगा नदी के तट पर बसा हुआ यह एक बहुत ही खूबसूरत शहर है. शाम के समय यहां माता गंगा की आरती होती है जो देश की खूबसूरती को और भी बढ़ा देती है. मान्यता है कि गंगा नदी में स्नान करने से लोगों के पाप धुल जाते हैं. इसके अलावा यदि यहां पर किसी व्यक्ति का अंतिम संस्कार किया जाए तो उसे फल प्रदान होता है. साथ ही हरिद्वार में नारायण शिला पर अपने पितरों का तर्पण करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. ऐसा हिंदू धर्म शास्त्रों में वर्णन मिलता है.

2. मथुरा
मथुरा को हम सभी भगवान कृष्ण की जन्म स्थली के रूप में जानते हैं. भव्य मंदिर से सुशोभित शहर भारत और उसके बाहर एक पवित्र स्थान का दर्जा रखता है. यह एक तीर्थ नगर भी है यहां पर पिंडदान समारोह होते हैं. यह शहर यमुना नदी के तट पर स्थित है. ऐसा माना जाता है कि मथुरा में पूर्वजों के लिए श्राद्ध रख कर उनका तर्पण करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है.

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3. उज्जैन
महाकाल की नगरी के नाम से प्रसिद्ध उज्जैन मध्य प्रदेश में स्थित है. ये शहर पिंडदान समारोह के लिए एक आदर्श स्थान है. शिप्रा नदी के तट पर स्थित इस शहर में लोग अपने पूर्वजों का श्राद्ध करने और पिंडदान करने के लिए आते हैं. ऐसा माना जाता है कि उज्जैन में अपने पूर्वजों का पिंडदान करने और श्राद्ध रखने से उन्हें मोक्ष प्राप्त होता है.

4. प्रयागराज
प्रयागराज जिसका पुराना नाम इलाहाबाद था गंगा यमुना और सरस्वती नदी के संगम पर स्थित है. एक मान्यता है कि इस शहर में अपने पूर्वजों का पिंडदान करने से मृत्यु के बाद आत्मा को जिन कष्टों से गुजरना पड़ता है. वह सभी कष्ट यहां पिंड दान करने से खत्म हो जाते हैं.

5. अयोध्या
भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या तीर्थ स्थान के जितना ही महत्व रखती है. पिंडदान के लिए यह स्थल सबसे अच्छी जगह में से एक है. सरजू नदी के तट पर बना ये शहर बहुत ही खूबसूरत है. एक प्रथा के रूप में आज भी हजारों लोग यहां अपने पूर्वजों के लिए हवन करवाते हैं और उनके लिए श्राद्ध रखते हैं.

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