चीतों ने बढ़ा दिए कूनो पालपुर के भाव, रातो-रात आसमान छूने लगे जमीन के दाम

श्योपुर :  श्योपुर में जमीन के भाव एकाएक बढ़ गए हैं. खासतौर से यहां स्थित कूनो पालपुर राष्ट्रीय अभयारण्य के आसपास की जमीन की डिमांड और दाम दोनों बढ़ रहे हैं. इसकी वजह चीता है. अभयारण्य में अफ्रीकी चीते आने की खबर ने यहां जमीन महंगी कर दी है. जो जमीन कल सस्ते में बिक रही थी आज उसके दाम आसमान छू रहे हैं.

राष्ट्रीय कूनो पालपुर अभयारण्य में चीते आने से पहले ही आसपास के इलाके की जमीनों की कीमत आसमान पर पहुंच गई है. स्थिति यह है कि पिछले साल तक जिस जमीन को लोग कौड़ियों के दाम खरीदने को तैयार नहीं थे, अब मालिक उस जमीन को 20 लाख रुपए बीघा के हिसाब से बेचने पर भी लिए तैयार नहीं हैं. 17 सितंबर को कूनो पालपुर अभयारण्य में चीते लाए जाएंगे. उसी दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उन्हें देश को सौंपेंगे.

रातों रात बढ़े दाम
चीतों के आने की तारीख का ऐलान होते ही कूनो से लगे हुए टिकटोली, मोरावन, सेसईपुरा इलाकों की जमीनों की कीमत आसमान पर पहुंच गई है. कल तक जो ग्रामीण अपनी जमीनों को कौड़ियों के भाव लाख – दो लाख रुपये बीघा में बेचना चाहते थे. अब वह कूनो में चीता प्रोजेक्ट की शुरुआत होने की खबर मिलने के बाद 20 लाख रुपए बीघा में भी बेचने के लिए तैयार नहीं हैं.

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होटल-रिसॉर्ट के लिए जमीन की तलाश
बाहर के उद्योगपति कूनो के आसपास होटल रिसोर्ट बनाने के लिए किसी भी कीमत पर जमीन खरीदने के लिए तैयार हैं. रोजाना बाहर की पार्टियां कूनो के आस-पास के गांवों में पहुंचकर बिकाऊ जमीनों की तलाश कर रही हैं. लेकिन, ग्रामीण अपनी जमीन बेचने के लिए फिलहाल तैयार नहीं हैं. ज्यादातर ग्रामीणों ने मेन रोड की जमीनों पर खुद की दुकान और मकान बनाने का काम शुरू कर दिया है. उन्हें उम्मीद है कि चीता आ जाने के बाद यहां इतने ज्यादा पर्यटक आने लगेंगे कि, वह घर बैठे उनकी दुकान-मकान सब चल निकलेंगे. संपन्न लोगों ने अपनी जमीनों पर होटल रिसोर्ट बनाने का काम शुरू कर दिया है.

बदलने लगी तस्वीर
बेहद पिछड़े हुए मोरावन और टिकटोली जैसे गांव की तस्वीर बदलने लगी है. ग्रामीणों का कहना है जमीनों के दाम आसमान पर पहुंच गए हैं. कल तक जो जमीन लाख रुपए बीघा में आसानी से मिल जाती थी. अब उन्हें लोग 20 लाख रुपये में भी देने को तैयार नहीं हैं.

सब खुश
राष्ट्रीय कुनो पालपुर अभयारण्य में चीते आने से इलाके के लोग बेहद खुश हैं. वजह यही है कि, कल तक जिस इलाके में कोई जाना पसंद नहीं करता था चीता आने से पहले उस इलाके में बड़े-बड़े उद्योगपतियों से लेकर विधायक, मंत्री और मुख्यमंत्री तक आने लगे हैं. चीतों की वजह से ही देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दीदार श्योपुर सहित आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र कराहल के लोग कर सकेंगे. क्षेत्र की तरक्की होने लगी है. टूटी फूटी सड़कें चमक उठी हैं. उनके क्षेत्र को एक बड़ी पहचान मिलने जा रही है. इससे लोग बेहद खुश हैं.

रोजगार के अवसर बढ़ेंगे
इलाके के युवा भी खासे उत्साहित हैं क्योंकि, उन्हें जल्द ही होटल रिसोर्ट में नौकरी मिलने लगेंगी. वह अपने टैलेंट पर टूरिस्ट का गाइड बन कर भी अच्छी खासी कमाई कर सकेंगे. कूनों को लंबे समय से चीतों के लिए तैयार कर रहे वन मंडल के अधिकारी भी बेहद खुश हैं. उनका कहना है, कूनो चीतों का वेलकम करने के लिए पूरी तरह से तैयार है. अब चीते लाए जा रहे हैं यह उनके लिए बड़े ही हर्ष का विषय है.

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